Historical Fort: मराठा साम्राज्य ने अपने शासन काल में कई बड़े-बड़े किलों का निर्माण करवाया था. इनमें से कुछ किले तो आज भी देश की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सुरक्षित हैं, लेकिन कुछ अपनी जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं. बावजूद इसके आज भी इनकी खूबसूरती लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. विरान और खंडहर हो चुके इन किलों में न जाने अब भी कैसा मोह है जो इतिहास प्रेमियों से छूटता ही नहीं. लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाला ऐसा ही एक गोलकुंडा किला है, जो  तेलंगाना राज्य में मौजूद है. गोलकुंडा किले को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं. अगर आपने इसे अब तक नहीं देखा है, तो एक बार देखने जरूर जाएं. यकीन मानिए आपको बेहद पसंद आएगा. आज हम इस आर्टिकल में आपको इस किले के बारे में खास बातें बता रहे हैं. 

 

सैलानियों के बीच है बेहद लोकप्रिय

गोलकुंडा किला (Golconda Fort) सैंकड़ों साल पुराना किला है. यह अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसकी खूबसूरती पर्यटकों को अब भी लुभाती  है.आपको बता दें कि इस किले का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था. 

 

समेटे हुए है इतिहास

इस किले का निर्णाण समुद्र तल से 480 फीट की ऊंचाई पर हुआ है. हालांकि, अब यह किला अपने पुरातन स्वरूप में मौजूद नहीं, लेकिन फिर पर्यटक इसे देखने के लिए जाते हैं. यह किला मराठा साम्राज्य की धरोहर है. जानकारों के मुताबिक सबसे पहले महाराजा वारंगल ने 14वीं शताब्दी में इस किले का निर्माण करवाया था. इसके बाद रानी रुद्रमा देवी और उनके पिता प्रतापरुद्र ने इसका पुनर्निर्माण करवाया. काकतिया राजवंश के बाद मुसुनुरी नायक ने हमला करके किले पर अपना आधिपत्य स्थापित किया. किले को 1512 ई. के समय से कुतुबशाही राजाओं ने हथिया लिया था, फिर इसका नाम मुहम्मदनगर रखा गया.

 

किले के निर्माण की कहानी

बताया जाता है कि एक चरवाहे लड़के को पहाड़ी पर एक मूर्ति मिली. जब तत्कालीन शासक काकतिया को इस बारे में पता चला तो उन्होंने इसे पवित्र जगह मानकर, इसके चारों ओर मिट्टी का किला बनाने का आदेश दिया. खूबसूरत गोलकुंडा किला आज भी अपनी की भव्यता कहता है. किले में कुल आठ दरवाजें हैं. किले का मुख्य द्वार फतेह दरवाजा कहलाता है. यहां मौजूद रहस्यमयी सुरंग महल के बाहर जाने का रास्ता है. कहते हैं कि मुश्किल हालातों में शाही परिवार इसी सुंरग का इस्तेमाल करता था. वर्तमान में यह सुरंग दिखाई नहीं देती.

 

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