Holi 2024: बनारस, मथुरा या फिर पुष्कर... कहां कैसे मनाई जाती है होली, जहां हर कोई ट्रेवल करके जाता है
होली 25 मार्च को है.हम आपको कुछ शहरों के बारे में बता रहे हैं जहां होली को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. आइए जानते हैं इन जगहों पर होली इतनी खास क्यों है.
होली रंगों का त्योहार 25 मार्च को है. होली का उत्सव कई जगहों पर शुरू हो चुका है. हम आपको कुछ शहरों के बारे में बता रहे हैं जहां होली को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. अगर आप भी इस होली में कहीं जाने का सोच रहे हैं तो हम आपको बताएंगे कि बनारस, मथुरा और पुष्कर की होली इतनी खास क्यों है, जिसका आनंद लेने के लिए लोग दूर-दूर से वहां आते हैं.
बनारस की होली
मासान होली काशी की बहुत ही प्रसिद्ध होली है. मासान होली को चिता की राख से खेला जाता है. मासान होली महादेव, देवों के देव, को समर्पित है. यह एक प्राचीन परंपरा है जो 18वीं सदी से चल रही है. माना जाता है कि भोलेनाथ शव को बहुत पसंद करते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन, भगवान शिव ने अपनी विवाह के बाद माँ पार्वती को काशी लेकर आए थे. माँ पार्वती के आगमन के उत्सव के रूप में शिवगण शवदाह से होली खेलते थे. मासान होली को मौत पर विजय का प्रतीक माना जाता है. मासान होली को शिवपुराण और दुर्गा सप्तशती में भी वर्णित किया गया है.
मथुरा की होली
मथुरा में होली एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है. भगवान कृष्ण के जन्मस्थल पर भक्तों की भारी संख्या एकत्रित होती है. लोग होली के समय यहां जाने को अधिक पसंद करते हैं. मथुरा के मंदिरों में होली के उत्सव के रूप में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यहां लठमार होली बहुत प्रसिद्ध है. इसका महत्व श्री कृष्ण से संबंधित है.इसमें महिलाएं मृदंग बजाकर पुरुषों को लाठियां मारती हैं, जो भगवान कृष्ण के लीलाओं को याद दिलाता है. मथुरा में होली के दौरान भगवान कृष्ण के मंदिरों में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भजन-कीर्तन, प्रवचन और प्रार्थना शामिल होती है. इन सभी कार्यक्रमों में भगवान कृष्ण की भक्ति और प्रेम का महत्व विशेष रूप से उजागर होता है. मथुरा की होली न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक और परंपरागत उत्सव भी है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें खुशियों के पलों का आनंद दिलाता है.
वृंदावन की होली
वृंदावन में फूलों की होली के साथ होली को बड़े उत्साह से मनाया जाता है. इसके लिए, बांके बिहारी मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं और लोगों को भगवान का दर्शन करने का मौका मिलता है. पुजारियों द्वारा सभी को फूल फेंके जाते हैं.
पुष्कर की होली
पुष्कर में उत्साह के साथ होली मनाई जाती है, इसीलिए होली के उत्सव के लिए कई लोग पुष्कर पहुंचते हैं. यहां पार्टियां आयोजित की जाती हैं जिनमें लोग संगीत और रंगों के साथ खेलने का आनंद लेते हैं. भांग ठंडाई या लस्सी के साथ उत्सव का उत्साह और बढ़ जाता है. यहां सुबह से ही रंगीन होली शुरू होती है. विदेशी लोग भी इस होली का बहुत मजा लेते हैं. पुष्कर की होली का एक और विशेषता है वहां का होली मेला. यह मेला भारत का सबसे बड़ा होली मेला है और यहां लाखों लोग एकत्रित होते हैं. इस मेले में रंग-बिरंगे बाजार, खास खाने की दुकानें, परंपरागत गीतों के साथ नृत्य, और अन्य विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है.
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