Historical Monuments: 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे. हर तरफ इस स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2022) को खास बनाने की तैयारियां चल रही हैं. आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) चल रहा है.  इस मौके पर बात उन स्मारकों की जो आजादी से जुड़े हैं और भारत की विरासत को संभाल कर रखा है. 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जानिए ऐसे ही पांच ऐतिहासिक स्मारकों के बारें में..

 

इंडिया गेट, नई दिल्ली

इंडिया गेट (India Gate) का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध 1914-1918 और 1919 में तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कराया गया था. इसकी पहचान एक युद्ध स्मारक के तौर पर है. 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में बलिदान देने वाले सैनिकों की याद में 1972 में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ था. तब से लेकर इस साल के पहले तक यह ज्योति यहीं प्रज्वलित होती रही थी. 21 जनवरी, 2022 को गणतंत्र दिवस से पहले भारत-पाकिस्तान के साथ युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शिफ्ट कर दिया गया। 

 

लाल किला, दिल्ली

दिल्ली का लाल किला (Red Fort) की प्राचीर से हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं और तिरंगा फहराते हैं. यह विश्व धरोहर में शामिल है. 1857 की क्रांति में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. आजादी की पहली लड़ाई में भारतीय क्रांतिकारियों की हार हुई और जफर रंगून भेज दिए गए. वहीं, उनका निधन हो गया. इसके बाद से ही अब तक जब कभी भी लाल किले पर कब्जा किया गया होगा, तो उसे हिंदुस्तान की स्वतंत्रता से जोड़कर देखा गया है.

 

जलियांवाला बाग, पंजाब

जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) नरसंहार ने देश की आजादी की आग को और भी ज्यादा बड़ा कर दिया था. बैसाखी वाले दिन निहत्थे लोगों पर जो ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं, उसने भारत की आजादी की लड़ाई को एक नई ही दिशा दे दी. इसके बाद जो हुआ, उसका असर लंबे समय तक देखने को मिला और 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा.

 

सेलुलर जेल, अंडमान-निकोबार

इस जेल (Cellular Jail) को ही काला पानी के नाम से जाना जाता है. जब देख में आजादी की मांग और क्रांति चल रही थी तब अंग्रेजों ने इसे एक औपनिवेशिक जेल बना रखा था. जिन क्रांतिकारियों से अंग्रेजों को ज्यादा खतरा समझ आता,  उन्हें काले पानी की सजा के तौर पर इन्हीं जेलों में रखा जाता. बटुकेश्वर दत्त, योगेश्वर शुक्ला और विनायक दामोदर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी को इस जेल में रखा गया था. अब यह म्यूजियम और स्मारक में बदल दिया गया है.

 

रानी का किला, झांसी

उत्तर-प्रदेश के झांसी में स्थित रानी का किला बंगीरा नाम की पहाड़ी पर बना है. यह किला गवाह है वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस का, जिसने अंग्रेजों के पैर उखाड़ने में बड़ी भूमिका अदा की थी. उनके साहस ने अंग्रेजों से जिस तरह मोर्चा लिया, वहीं से सही मायने में आजादी पाने की जंग शुरू हो गई थी. यही लड़ाई बाद में क्रांति बन गई और कई क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के यहां से भागने पर मजबूर कर दिया.

 

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