जम्मू-कश्मीर में सुधरे हालात: 'आतंकियों' को दिखाई गई असली जगह, अब भारी तादाद में घाटी आ रहे टूरिस्ट
पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के इशारों पर उड़ने वाले दरिंदे या तो सलाखों के पीछे हैं या मुंह बंद करके बैठे हैं. पर्यटक भी कश्मीर की ओर वापस लौट आए हैं और हर गुजरते साल के साथ इनकी संख्या बढ़ रही है.
Jammu Kashmir Tourism: क्रिसमस और नए साल का जश्न मनाने के लिए जम्मू-कश्मीर आने वाले लोगों ने घाटी में हलचल मचा दी. गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग सहित सभी डिमांड वाले टूरिस्ट रिसॉर्ट इन सेलिब्रेशन से पहले ही बिक गए. 1 जनवरी 2022 से 21 दिसंबर 2022 तक लगभग 26 लाख टूरिस्ट्स ने कश्मीर का दौरा किया. सबसे ज्यादा कमाई करने वाले महीने अप्रैल (2.72 लाख लोग), मई (3.75 लाख लोग) और जून (3.33 लाख लोग) रहे. जबकि जनवरी में 62000, फरवरी में एक लाख और दिसंबर में 1.05 लाख टूरिस्ट आए. सर्दियों के मौसम में कश्मीर पर्यटकों से भरा रहता है, इसलिए तमाम होटलों के मालिकों ने भव्य रात्रिभोज और अन्य मनोरंजन कार्यक्रमों के लिए खास पैकेज का ऐलान किया है.
कोरोना की वजह से साल 2020 और 2021 में बहुत ज्यादा विदेशी पर्यटक कश्मीर नहीं गए थे. हालांकि 2022 में प्रतिबंधों को हटा दिया गया. जिसकी वजह से लंबे समय के बाद घाटी में विदेशियों का आगमन हुआ. जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने का फैसला (5 अगस्त 2019) किया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था, तब इस बात को लेकर अनिश्चितता थी कि कैसे टूरिस्ट सीजन को बूस्ट किया जाएगा. तीन दशकों से चली आ रही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने यहां के पर्यटन उद्योग को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया. यहां तक कि पीक सीजन के दौरान भी कश्मीर के होटल खाली रहते थे. सर्दियों के मौसम में कश्मीर घूमने आने वाले पर्यटक भी कम होते थे.
बड़ी संख्या में कश्मीर घूमने आ रहे टूरिस्ट
तीन साल पहले तक कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर ही कश्मीर में चहल-पहल शुरू हो जाएगी और साल के अंत में छुट्टियां बिताने के लिए देशभर से टूरिस्ट घाटी का रुख करेंगे. सर्दियों में होटल बुक रहेंगे और ऑफ सीजन में भी पर्यटन के हितधारक बिज़ी रहेंगे. पिछले तीन सालों के दौरान सरकार ने कश्मीर के वैभव को बहाल करने के लिए अथक प्रयास किए हैं. जम्मू कश्मीर ने 1990 में अपना वैभव तब खो दिया था, जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद उसपर फूट पड़ा था. नब्बे के दशक तक देश और दुनिया भर से लोग बड़ी संख्या में कश्मीर घूमने के लिए आते थे, लेकिन 1990 में आतंकवादियों के आने से हिमालय क्षेत्र के टूरिस्ट सेक्टर को गहरा झटका लगा.
आतंकियों को दिखाई असली जगह
पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के आदेश पर आतंकवादियों ने कश्मीर से टूरिस्ट को खदेड़ने के लिए सिनेमा हॉल, गार्डन, होटल और रेस्टोरेंट बंद कर दिए और लोगों के मन में एक डर पैदा कर दिया. उनकी हरकतों ने पर्यटकों को कश्मीर से दूर कर दिया, जिससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. हालांकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर बदल गया. केंद्र शासित प्रदेश में इस बदलाव को वहां के लोग भी महसूस करते हैं. पिछले तीन सालों के दौरान जम्मू-कश्मीर ने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास किया है. घाटी में शांति एक बार फिर से लौट आई है. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों को उनकी सही जगह दिखा दी गई है. पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के इशारों पर उड़ने वाले दरिंदे या तो सलाखों के पीछे हैं या अब मुंह बंद करके बैठे हैं. पर्यटक भी कश्मीर की ओर वापस लौट आए हैं और हर गुजरते साल के साथ इनकी संख्या बढ़ रही है.
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