Navratri Famous Temple: नवरात्रि के 9 दिनों का पर्व शुरू होने जा रहा है. इन नौ दिनों में दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भीड़ नज़र आती है. मां दुर्गा भक्तों के लिए कष्ट हरणी, पाप नाशनी हैं. उनकी कई रूपों में पूजा की जाती है. भारत में माता रानी के कई मंदिर ऐसे हैं, जो काफी प्रसिद्ध हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारें में बताने जा रहे हैं, जहां नवरात्रि में दर्शन मात्र से दुखों का नाश हो जाता है, पाप मिट जाते हैं, दुख-दर्द दूर हो जाता है और धन-धान्य संपन्नता आती है. मां भक्तों पर प्रसन्न होती हैं और उसके मन की मुराद पूरी करती हैं. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारें में..
मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा का मंदिर, काशी
देवी मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा का मंदिर पावन नगरी वाराणसी में स्थित है. यह काफी प्रसिद्ध है. नवरात्रि में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है. मां ब्रह्मचारिणी माता दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं. इस मंदिर की खासियत यह है कि नवरात्रि में कोई भी यहां आकर दर्शन करता है तो उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
मंदिर की पौराणिक कथा
मां ब्रह्मचारिणी मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी के पिता हिमालय राज और मां मैना थीं. माता ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की. कई वर्षों तक तपस्या करने के बाद उनका शरीर क्षीण हो गया. उनका यह तप आज भी सबसे कठिन तप में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि तपस्या के दौरान मां ने सिर्फ फल-फूल ही खाए और जमीन पर ही निवास किया.
गंगा किनारे विराजती हैं मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी का यह धाम काशी के बालाजी घाट पर स्थित है. यह गंगा का किनारा है. यहां सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ पहुंचने लगती है. मंदिर श्रद्धालुओं से पट जाता है. रात 2 बजे से ही नवरात्रि में यहां कतारें लग जाती हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि अगर भक्त सच्चे मन से मां की पूजा-अर्चना करते हैं तो उनकी मन की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं.
इस तरह पहुंचें मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा धाम
भारत में कहीं से भी वाराणसी पहुंचा जा सकता है. मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई किसी भी शहर से आप ट्रेन से वाराणसी पहुंच सकते हैं. स्टेशन से आपको ऑटो या कैब आसानी से मिल जाता है और वह मंदिर पहुंचा देता है. आप फ्लाइट से भी वाराणसी पहुंच सकते हैं और लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट या बाबत पुर हवाई अड्डे से टैक्सी या कैब लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं.
ये भी पढ़ें