फ्लाइट में बच्चे के साथ सफर? जानें चेक-इन से लेकर फ्लाइट तक क्या रखें ध्यान
नीना गुप्ता (Neena Gupta) ने हाल ही में अपने ट्रेवल एक्सपीरियंस को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है. जिसमें उन्होंने शिशु और बच्चे को लेकर एविएशन पॉलिसी पर खुलकर बात की है.
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नीना गुप्ता (Neena Gupta) ने हाल ही में अपने ट्रेवल एक्सपीरियंस को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया. जिसमें उन्होंने बताया कि ढाई महीने की नातिन को लेकर ट्रेवल के दौरान उन्हें काफी ज्यादा दिक्कतों का समना करना पड़ा. नीना गुप्ता ने अपने पोस्ट में कहा कि हम पूरी फैमिली गोवा घूमने जा रहे थे इस दौरान मेरी बेटी मसाबा की बेटी जोकि अभी सिर्फ ढाई महीने की हैं. उसे चेक-इन के दौरान रोक दिया गया. क्योंकि हमने उसके लिए चाइल्ड टिकट ली थी. एविएशन पॉलिसी के मुताबिक 2 साल या उससे छोटे बच्चे के लिए शिशु वाला टिकट लेकर उसपर ट्रेवल करना पड़ता है.
नीना गुप्ता का सोशल मीडिया पोस्ट
आजकल आपको दो साल से कम उम्र के छोटे बच्चों के लिए टिकट बुक करने की आवश्यकता होती है. आपको सीट नहीं मिलती है लेकिन उचित टिकट के साथ थोड़ा शुल्क लिया जाता है. आपको जन्म प्रमाण पत्र आदि जैसे दस्तावेज दिखाने होते हैं.
नीना गुप्ता आगे कहती है वापस आते वक्त जब हम काउंटर पर गए तो उन्होंने हमसे कहा, सॉरी मैडम, आपकी छोटी बच्ची नहीं जा सकती’. उन्होंने कहा कि सिस्टम के अनुसार दो साल से कम उम्र के बच्चों को शिशु कहा जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि टिकट पर बच्चे उम्र और जन्म प्रमाण पत्र का उल्लेख होने के बावजूद परिवार को चेक-इन करने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें टिकट रद्द करने और शिशु का उल्लेख करते हुए एक नया टिकट बुक करने से पहले इंतजार करने के लिए कहा गया. समस्या क्या है?
भारत में शिशु किसे कहते हैं?
हम कहते हैं बच्चा ना- छोटा या बड़ा (हम कहते हैं बच्चा, चाहे बच्चा शिशु हो या बड़ा). कितने लोग इस अंतर को जानते होंगे? उन्होंने पूछा साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो जनहित में बनाया गया था. उन्होंने कहा 15-20 मिनट तक इंतजार करवाया. हमें टिकट रद्द करना पड़ा और शिशु का उल्लेख करते हुए एक नया टिकट खरीदना पड़ा. तभी हम चेक-इन कर सकते थे. यह वीडियो युवा माताओं को चेतावनी देने के लिए है कि छोटे बच्चे के साथ यात्रा करते समय सावधान रहें, क्योंकि इससे समस्या हो सकती है.
एयरलाइन की नीतियां क्या कहती हैं?
एविएशन विशेषज्ञ और विश्लेषक धैर्यशील वांडेकर के अनुसार नियमों के अनुसार दो साल से कम उम्र के बच्चों को हवाई यात्रा के लिए शिशुओं के रूप में माना जाता है. उन्हें आम तौर पर माता-पिता द्वारा गोद में ले जाया जाता है. उन्हें कोई अलग सीट आवंटित नहीं की जाती है क्योंकि उन्हें माता-पिता से निरंतर देखभाल और ध्यान की आवश्यकता होती है. शिशुओं से यात्रा के लिए एक निश्चित राशि ली जाती है वयस्क किराए से कम या कुछ छूट. वांडेकर के अनुसार एयरलाइनें शिशु पालने की व्यवस्था निःशुल्क उपलब्ध करा सकती हैं. वांडेकर ने कहा बुकिंग के समय या हवाई अड्डे पर चेक-इन करते समय इनका अनुरोध किया जा सकता है.
दो साल से ऊपर और 12 साल से कम उम्र के बच्चों को हवाई यात्रा के लिए चाइल्ड टिकट दिए जाते हैं. चाइल्ड टिकट पर यात्रा करने वाले बच्चों को एक अलग सीट भी आवंटित की जाती है. कुछ एयरलाइनों में चाइल्ड टिकट पर वयस्क किराए का 20-35 प्रतिशत छूट दी जाती है, जबकि कुछ में कोई छूट नहीं दी जाती है.
वांडेकर ने कहा कि फ्लाइट में शिशुओं के लिए चाइल्ड टिकट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि शिशु दो साल से कम उम्र का बच्चा होता है जो आमतौर पर अलग सीट के बिना किसी वयस्क की गोद में यात्रा करता है. चाइल्ड टिकट दो साल से अधिक उम्र के बच्चे के लिए होता है और उसे फ्लाइट में अपनी सीट की आवश्यकता होती है. शिशु के लिए चाइल्ड टिकट बुक करना गलत होगा और उम्र आदि और सत्यापन आवश्यकताओं के कारण चेक-इन में समस्याएँ पैदा हो सकती हैं.
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