कुछ जादुई देखना है तो आंध्र प्रदेश के इस मंदिर में आएं... सुबूत कॉरिडोर में रखे मिलेंगे!
Surprising Place In India: ऐसी जगहों पर घूमने का शौक रखते हैं, जहां जाकर कुछ अनोखा देखने और जानने को मिले... तो आपको आंध्र प्रदेश के इस मंदिर में जरूर जाना चाहिए...

Unique Temple To Visit: आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है कणिपक्कम विनायक मंदिर. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां स्थित भगवान गणपति की प्रतिमा स्वयंभू है. अर्थात इस मूर्ति को किसी कारीगर ने तराशकर तैयार नहीं किया है बल्कि इसकी उत्पत्ति स्वयं हुई है. ये एकदम सामान्य जानकारी है क्योंकि ऐसी स्वयंभू मूर्तियां हमारे देश के कई मंदिरों में स्थापित हैं. लेकिन इस मूर्ति को बाकी मूर्तियों और इस मंदिर को बाकी मंदिरों से अलग जो चीज बनाती है, वो है इस मूर्ति का लगातार बढ़ना...
कितनी सच है मूर्ति के बढ़ने की बात?
इस मूर्ति का आकार लगातार बढ़ने की बात कही जाती है. दावा किया जाता है कि पिछले करीब 70 साल में ये प्रतिमा 2 फीट से अधिक बढ़ चुकी है. इसके साक्ष्य के रूप में मंदिर प्रांगण में गणपति के कवच भी रखे हुए हैं, जो इनके बढ़ते आकार के कारण मूर्ति पर छोटे होते गए तो इन्हें सहेजने के लिए मंदिर में ही संग्रहित कर लिया गया है. कौन-सा कवच किस साल का है, यह कवच के पास रखी एक पट्टिका पर लिखा गया है, जिसे आने वाले भक्त आराम से पढ़कर पुराने कवच के आकार से प्रतिमा के पुराने आकार का अंदाजा लगा सकें.
सबसे पहला आकार भी देख सकते हैं आप?
कणिपक्कम विनायक मंदिर में स्थापित गणपति की प्रतिमा का साइज इस समय पर 4 फीट कुछ इंच है. लेकिन जब यह प्रतिमा प्रकट हुई थी और इसे स्थापित किया गया था, उस समय यह बहुत छोटी सी थी. कितनी छोटी... इसे जानने के लिए मंदिर प्रांगण में स्थित कुंड के बीचों-बीच स्थित छतरी के नीचे उसी मूर्ति की एक रेप्लिका रखी गई है, जो अंदर स्थापित है. बस इस रेप्लिका का साइज वही रखा गया है, जो प्राकट्य के समय वास्तविक मूर्ति का था.
कहां से शुरू होता है सफर?
आंध्र प्रदेश स्थित कणिपक्कम विनायक मंदिर दिल्ली से करीब 22 सौ किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है. यहां जाते समय आप तिरुपति होते हुए जाएंगे, जहां तिरुमाला पर्वत श्रृंख्ला पर बना है भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर. यहां बालाजी के दर्शन करके यहां के सौंदर्य को अपनी यादों और कैमरे में सहेजकर आप कणिपक्कम विनायक मंदिर के दर्शनों के लिए बढ़ सकते हैं.
Disclaimer: यह आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. मंदिर परिसर में रखे कवच और इस मंदिर से जुड़े पुरोहित इन मान्यताओं से सहमति जताते हैं!
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