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मध्यप्रदेश में ऐसा पेड़ जिसे मिलती है Z+ सिक्योरिटी, हर साल इसकी देखभाल में खर्च होते हैं 15 लाख रुपए, जानिए क्या है माजरा
साल 2012 में जब श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे भारत दौरे पर आए थे,तब उन्होंने इस पेड़ को लगाया था.तब से इस पेड़ की 24 घंटे निगरानी की जाती है.इसका अच्छी तरह ख्याल रखा जाता है.
VVIP TREE : देश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत VVIP को Z+ सिक्योरिटी मिली हुई है. कुछ सेलिब्रिटी और बिजनेसमैन को भी ये सुरक्षा दी जाती है. वे 24 घंटे कड़ी सुरक्षा के घेरे में रहते हैं लेकिन आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं, उसे सुनकर आपको खुद भी यकीन नहीं होगा. देश में एक पेड़ ऐसा भी है, जिसे Z+ सुरक्षा दी गई है. सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन बता दें कि इस पेड़ की सुरक्षा में चार गार्ड हर वक्त तैनात रहते हैं. इसकी सुरक्षा में ही अच्छा-खासा खर्च कर दिया जाता है. चलिए जानते हैं आखिर कहां है ये वीवीआईपी पेड़ और यह क्यों है इतना खास...
इतना क्यों खास है ये पेड़
इस पेड़ का मूल बिहार के गया जिले में है. हालांकि, मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भी इसे लगाया गया है. भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ियां है, इसी पर साल 2012 में जब श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे भारत दौरे पर आए थे, तब उन्होंने इस पेड़ को लगाया था.
पेड़ की सुरक्षा का खर्च कितना है
यह पीपल का पेड़ है और कितना मूल्यवान है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि हर साल मध्यप्रदेश सरकार इसकी सुरक्षा में 12 से 15 लाख रुपए खर्च कर देती है. बता दें कि यह पेड़ पहाड़ी पर 15 फीट ऊंची लोहे की जाली के बीच रखा गया है. इसका नाम बोधि वृक्ष है.
कलेक्टर तक करते हैं निगरानी
इस पेड़ की देखभाल खुद कलेक्टर की निगरानी में की जाती है. टैंकर से पेड़ को सींचा जाता है. यह पूरी तरह सुरक्षित रहे इसका ख्याल रखा जाता है. पेड़ का एक पत्ता भी सूख जाए तो हर कोई परेशान रह जाता है. इस पेड़ का देखभाल अच्छी तरह किया जाता है. देश ही नहीं विदेश से भी टूरिस्ट इसके दर्शन करने आते हैं.
बोधि वृक्ष का बौद्ध धर्म से रिश्ता
इतिहास के मुताबिक, भगवान बुद्ध ने इसी पेड़ के नीचे बैठकर ज्ञान प्राप्त किया था. हालांकि, यह मूल वृक्ष नहीं हैं. जब ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था, तब उन्हें एक बोधि वृक्ष की एक टहनी दी थी. जिसे उन्होंने वहां के अनुराधापुरा में लगा दिया था. वो आज भी वहां है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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