Timbuktu : क्या आपने कभी टिंबकटू शहर का नाम सुना है? कुछ कहानियों और किस्सों में इस शहर का जिक्र तो होता है लेकिन क्या सच में ऐसा कोई शहर है भी या ये सिर्फ कल्पनाएं ही है? अगर यह शहर है भी तो कहां है और ख्यालों का शहर क्यों है? आइए जानते हैं आपके ख्यालों के शहर टिंबकटू के बारें में...
कहां है टिंबकटू
टिंबकटू कभी काफी फेमस शहर हुआ करता था. टिंबकटू अफ्रीकी देश माली का एक शहर है. कभी यहां की शिक्षा दुनियाभर में काफी आगे थी. यह इस्लाम और कुरान की पढ़ाई का अफ्रीकी केंद्र भी हुआ करता था तब यह 333 संतों के नगर के नाम से भी प्रसिद्ध था. हालांकि, साल 2012 में शहर तबाही की कगार पर आ खड़ा हुआ. इसका कारण था आतंक.
सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत वाला शहर
एक समय ऐसा भी था, जब इस शहर की पहचान समृद्ध सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत के तौर पर था. इसी वजह से यूनेस्को के हेरिटेज लिस्ट में इसका नाम भी था. यह शहर 5वीं सदी बसाया गया था. 15वीं-16वीं सदी में सांस्कृतिक और एक व्यापारिक नगरी के तौर पर पहचान होती था. इस शहर को दुनिया का अंत माना जाता है. पुराने समय में इसकी समृद्धि व्यापार मार्गों के केंद्र के तौर पर थी.
सोने की खान था यह शहर
टिंबकटू में ऊंटों से सहारा रेगिस्तान के रास्ते सोना लाने का काम होता था. व्यापारी सोना लेकर यहीं से पश्चिमी अफ्रीका, यूरोप और मध्य-पूर्व तक जाते थे. एक कहानी में बताया जाता है कि प्राचीन माले राष्ट्र के राजा कंकन मोउसा ने 16वीं सदी में काहिरा के शासकों को इतना सोना उपहार में दिया कि सोने के दाम काफी कम हो गए. एक किस्सा यह भी है कि एक समय टिंबकटू में सोने और नमक की कीमत समान हुआ करती थी.
टिंबकटू का पतन
टिंबकटू की पहचान प्राचीन इस्लामी पांडुलिपियों के समृद्ध संग्रह के तौर पर है. 2012 में यह आतंकियों ने निशाने पर आ गया. हालांकि, कुछ लोगों की मेहनत से ये पांडुलियियां बच गई. इन्हें राजधानी के एक अपॉर्टमेंट में सुरक्षित रख दिया गया। अब इनका डिजिटलाइटेशन भी हो रहा है. यह शहर शांति का मिसाल होकर भी आतंकियों के निशाने पर रहा.
650 साल पुराना मस्जिद
धार्मिक केंद्र के तौर पर पहचाने जाना वाला यह शहर पतन के बाद आज गर्मी और बालू के टिब्बों वाले सुनसान शहर में बदल गया है. टिंबकटू जाने का मात्र एक रास्ता बालू से ही गुजरता है. यहां दस्युओं का आतंक रहता है. यहां से गुजरना काफी मुश्किलों वाला होता है. आकर्षण की वजह से बड़ी संख्या में टूरिस्ट यहां खिंचे आते हैं. यहां 650 साल से भी ज्यादा पुराना विशालकाय जिंगरेबर मस्जिद है, जिसे तब मिट्टी और गारे से बनाया गया था.
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