Murudeshwar Shiv Murti : भगवान शिव को अतिप्रिय सावन का महीना (Sawan 2023) चल रहा है. कांवड़ियों का हुजूम देखने को मिल रहा है. शिवालयों में जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना हो रही है. भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका युगों-युगों से नाता है. इनका महत्व इतना ज्यादा है कि हर दिन बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां पहुंचते हैं. ऐसा ही एक मंदिर कर्नाटक (Karnataka) में... जहां भगवान शिव की 123 फीट ऊंची प्रतिमा है. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े दिलचस्प फैक्ट्स...
कर्नाटक का विशाल शिव मंदिर
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह कर्नाटक का मुरुदेश्वर मंदिर (Murudeshwar Shiv Temple) है. जो रामायण काल से जुड़ा है. कन्नड़ जिले की भटकल तहसील में स्थित यह मंदिर समुद्र तट पर बना है. तीन ओर से यह जगह अरब सागर से घिरी है. यहां का नजारा अद्भुत है.
भगवान शिव की 123 फीट ऊंची प्रतिमा
मुरुदेश्वर भगवान शिव का ही एक नाम है. इस मंदिर की विशाल प्रतिमा ही यहां की सबसे खास बात है. यहां 123 फीट ऊंची शिव प्रतिमा है. यह दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची शिव प्रतिमा मानी जाती है. इस प्रतिमा को बाने में दो साल का समय लगा था और करीब 5 करोड़ का खर्च आया था. विदेशों से भी पर्यटक यहां दर्शन के लिए आते हैं.
मुरुदेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा
रामायण काल में भी इस मंदिर का जिक्र होता है. पौराणिक कथा है कि रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे एक शिवलिंग दिया था. भगवान भोलेनाथ ने रावण से कहा कि अगर अमर होना है तो शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी रखना मत. जब रावण शिवलिंग लेकर निकला तो रास्ते में भगवान गणेश ने चालाकी से रावण को लंका भेज दिया और शिवलिंग को गोकर्ण की धरती पर रख दिया. इससे रावण क्रोधित हो उठा और शिवलिंग उखाड़ने और नष्ट करने की कोशिश करने लगा. इस दौरान जिस कपड़े से शिवलिंग ढका था, वह रिदेश्वर के कंदुका पर्वत पर जा गिरा और यह जगह मुरुदेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुई.
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