Black Tourism: सैर-सपाटे के शौकीन लोगों का टेस्ट भी जनरेशन के हिसाब से बदलने लगता है. बदलती पीढ़ी के साथ लोगों की पसंदीदा जगहें भी अक्सर बदल जाती हैं. हालांकि यूनेस्को साइट्स और दुनियाभर में स्थित अजूबे देखने का सिलसिला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के शौक में शामिल होता रहता है. लेकिन पिछले कुछ समय से टूरिज्म में एक और क्रेज देखने को मिल रहा है, डार्क टूरिज्म. इसे ब्लैक टूरिज्म भी कहते हैं. हालांकि ये सैर-सपाटे का ये कोई नया पैटर्न नहीं है लेकिन पिछले कुछ समय में इसके प्रति क्रेज अधिक देखने को मिल रहा है...
क्या है डार्क टूरिज्म?
डार्क टूरिज्म या ब्लैक टूरिज्म ऐसी जगहों पर घूमने के शौक का नाम है, जहां से लोगों की मौत, बुरे हदसों या कुछ बहुत ही भयंकर इतिहास जुड़ा हो. जैसे, जापान का हिरोशिमा और नागासाकी. जहां पहली बार न्यूक्लियर बम गिराए गए थे. इस घटना को अब 80 साल होने को हैं, इसलिए यहां रेडिएशन का खतरा पहले की तरह नहीं रह गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन जगहों पर घूमने हर साल करीब 20 लाख टूरिस्ट आ रहे हैं. हालांकि आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं.
क्या अट्रैक्ट करता है?
जानकारी के अनुसार, अब अफगानिस्तान और वेनेजुएला ऐसे देश बने हुए हैं, जो डार्क टूरिज्म पसंद करने वाले टूरिस्ट्स को काफी अट्रैक्ट कर रहे हैं. एक तरफ ये लोग अमेरिका के जाने के बाद अफगानिस्तान के हालात देखना चाहते हैं तो दूसरी तरफ वेनेजुएला में आए करंसी संकट के बाद लोगों को खरीदारी के लिए थैला भरकर पैसा ले जाते हुए देखना चाहते हैं! यानी सदियों में एक बार होने वाली ऐतिहासिक घटनाओं के चश्मदीद बनना चाहते हैं.
नेगेटिव नहीं कुछ भी
हालांकि डार्क टूरिज्म में कुछ भी नेगेटिव या गलत नहीं कहा जा सकता. वैसे भी ये आज का चलन नहीं है और दशकों से लोग ऐसी जगहों पर घूमने जाना पसंद कर रहे हैं, जहां उन्हें मानव इतिहास की भूलों को अपनी आंखों से देखने का मौका मिले. रूस का चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र विस्फोट भी ऐसा ही एक हादसा है. जहां परमाणु रिऐक्टर में अचानक बिस्फोट हो गया और उस समय के यूएसआर को तुरंत अपने दो शहर पूरी तरह खाली कराने पड़े. अब 37 साल बाद रेडिएशन कम होने के बाद भी ये शहर तो पूरी तरह वीरान और भूतहा हैं लेकिन यहां टूरिस्ट घूमने आ रहे हैं.
डार्क टूरिज्म के नए अट्रैक्शन?
डार्क टूरिज्म लवर फिलहाल सीरिया, वियतनाम, वेनेजुएला, अफगानिस्तान जैसे देशों में जाना अधिक पसंद कर रहे हैं. क्योंकि इन देशों में पिछले कुछ समय के अंदर कुछ ना कुछ ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं. फिर चाहे वो इनकी करंसी डूबने का मामला हो या फिर आतंकी हमलों और भूकंप जैसे हादसों के बाद बर्बादी के हालात.
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