क्यों अगला हफ्ता ताजमहल देखने का है बेस्ट टाइम, जो हिस्सा बंद रहता है, वहां भी मिलेगी एंट्री
शाहजहां का 369वां तीन दिवसीय उर्स 6 फरवरी से 8 फरवरी तक चलेगा. इस मौके पर पर्यटकों को भी शाहजहां और मुमताज के समाधियों को देखने का अवसर मिलेगा.
उर्स के अवसर पर दो आधे दिन और एक पूरे दिन के लिए पर्यटकों के लिए ताज महल में फ्री एंट्री होगी. उर्स 6, 7 और 8 फरवरी को आयोजित किया जाएगा. इसकी तैयारियां पहले से ही शुरू हो चुकी हैं. शाहजहां का 369वां तीन दिवसीय उर्स 6 फरवरी से 8 फरवरी तक चलेगा. छह को दोपहर दो बजे मुख्य मकबरा खोला जाएगा. घुस्ल अनुष्ठान के बाद, फातिहा, मीलाद-उन-नबी और मुशायरा का आयोजन किया जाएगा.
जैसा हर साल होता है, इस साल भी फरवरी में शाहजहां का उर्स आयोजित किया जाएगा. इस मौके पर, पर्यटकों को भी शाहजहां और मुमताज के समाधियों को देखने का अवसर मिलेगा, जिनमें सामान्य दिनों में प्रवेश नहीं होता है. इन तीन दिनों के लिए ताज महल में प्रवेश तीर्थयात्रीओं और पर्यटकों के लिए मुफ्त होगा. आगरा के ताज महल का मुख्य समाधि उर्स के तीनों दिनों में खुला रहेगा. 7 फरवरी को सैंडल समारोह और क़व्वाली होगी. 8 फरवरी को सुबह, क़व्वाली के बाद कुल अनुष्ठान के बाद कुरआन ख्यानी भी होगी.
ये लेकर जाना मना
भीड़ के कारण सुरक्षा के इंतजाम कड़े किए जाएंगे.ताज महल के अंदर सिगरेट, बीड़ी, पान-मसाला, किसी भी प्रकार का झंडा, पोस्टर या पटाका की अनुमति नहीं होगी. इसके साथ ही, किताबें, स्क्रूड्राइवर्स, लाइटर्स और चाकू जैसी चीजें लेकर जाना भी वर्जित है.
इतनी बड़ी है चादर
ताजमहल के उर्स के मौके पर शाहजहां और मुमताज की असली कब्र का रास्ता खोला जाता है. ताजमहल पर घुसल की रस्में, संदल की रस्में, कव्वाली और चादरपोशी शामिल है. ताजमहल के उर्स के अंतिम दिन दुनिया की सबसे बड़ी चादर को ताजमहल पर चढ़ाया जाएगा जिसकी लंबाई 1560 मीटर है.
हर धर्म का कपड़ा सम्मिलित
मौसम के दृष्टिकोण से ताज महल को देखने का बेस्ट समय अक्टूबर से मार्च तक है. जब औसत तापमान 15 से 27 °सेल्सियस (59–81 °फारनहाइट) के बीच होता है. यह बर्फबारी और गर्मी से पूरी तरह सुरक्षित रहता है, और आपको पूरी तरह से आनंद देगा. अगर आप भी इस समय ताज महल घूमने जाने का मन बना रहे है तो ये समय आपके लिए बेस्ट है. क्योंकि आपको इस समय फ्री में मुख्य मकबरा खोला जाएगा. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर में सभी धर्म , सभी वर्गों और सभी जातियों का कपड़ा सम्मिलित किया जाता है , यानी हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्म के कपड़े से चादर को बनाया जाता है.
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