हल्दी दक्षिणी एशिया का लोकप्रिय पीला मसाला है. ये कई भारतीय पकवान की एक जरूरी सामग्री है. उसका इस्तेमाल स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाने के लिए भी किया जाता है. हाल के वर्षों में प्राकृतिक उपचार के तौर पर हल्दी अधिक से अधिक ध्यान आकर्षित कर रही है. हल्दी का मुख्य सक्रिय सामग्री करक्यूमिन है. उसके सप्लीमेंट्स या करक्यूमिन भी तेजी से आम हो रहे हैं.


हल्दी में औषधीय गुण होने के कारण कई रोग के इलाज में मुफीद है. उसे जख्मों को जल्दी ठीक करने के लिए लगाया जा सकता है. ये घुटनों का दर्द और दिल की बीमारी का इलाज करने के लिए मददगार है. लेकिन अधिक मात्रा में इस्तेमाल से उसके संभावित साइड-इफेक्टस भी हो सकते हैं, इसलिए सीमित मात्रा में इस्तेमाल किया जाना चाहिए. कुछ लोग चिंता करते हैं कि इसके क्या साइड इफेक्ट्स हैं. ये आम तौर से पूरी तरह सुरक्षित है जब तक कि उसका अधिक मात्रा में सेवन न किया जाए. 


पाचन सिस्टम को प्रभावित कर सकता है- अगर आप अनुशंसित मात्रा से ज्यादा हल्दी का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप कब्ज, डायरिया, उल्टी, अपच और पेट दर्द से पीड़ित हो सकते हैं. उसमें ऑक्सालेट की बड़ी मात्रा होती है जो अधिक सेवन पर पित्त पथरी के जोखिम को बढ़ा सकता है. 


पथरी की समस्या में न इस्तेमाल करें- अगर आप गुर्दे की पथरी यानी किडनी स्टोन से पीड़ित हैं, तो हल्दी को नजरअंदाज करने की कोशिश करें. उसका इस्तेमाल सिर्फ जरूरी मात्रा में ही शरीर को फायदा दे सकता है. लेकिन, किसी तरह की समस्या में डॉक्टर से संपर्क करें. 


बांझपन का कारण हो सकता है- पुरुषों को हल्दी के सप्लीमेंट्स की बड़ी मात्रा लेने पर ये टेस्टोस्टेरोन को प्रभावित कर सकता है और स्पर्म की गति को कम करता है, जिससे बांझपन होता है. 


आयरन की कमी का कारण बन सकता है- हल्दी में मौजूद कुछ यौगिक आयरन के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं. इससे भोजन से आयरन को शरीर के अवशोषित करने की क्षमता में कमी आ सकती है, जिससे आयरन की कमी हो सकती है.


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