Type 2 diabetes: डायबिटीज एक पुरानी बीमारी है. उसके मरीजों को शरीर की विशेष देखभाल की जरूरत होती है. इस बीमारी की पहचान शरीर में गैर सेहतमंद ब्लड शुगल लेवल से है. शरीर में लगातार और अस्वस्थ ब्लड शुगर लेवल कई स्वास्थ्य स्थितियों जैसे किडनी और हृदय संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकता है. इसलिए शरीर में ग्लूकोज लेवल को काबू करने के तरीकों को अपनाना बहुत जरूरी हो जाता है. डाइट और स्वस्थ जीवनशैली डायबिटीज के लक्षणों को काबू करने के प्रभावी तरीके हैं.


डायबिटीज और सोयाबीन
डायबिटीज रोगियों के लिए एक आदर्श डाइट क्या है. इसका जवाब फाइबर से भरपूर मगर कार्बोहाइड्रेट्स में कम फूड का मिश्रण है. इसके अलावा, प्रोसेस्ड शुगर का सेवन सख्ती से मना किया जाता है. डायबिटीज पीड़ितों के लिए सोयाबीन शानदार फूड का विकल्प हो सकता है. उसमें एक यौगिक आइसोफ्लेवोन्स की मौजूदगी की वजह से ये ब्लड शुगर के स्तर को प्रबंधित करने में मददगार है.


सोयाबीन खाने के फायदे
प्रोटीन का स्रोत- ये प्रोटीन का शानदार स्रोत है और एक प्रभावी फूड विकल्प हो सकता है अगर आप मांसपेशियों को बना रहे हैं. ये उन लोगों के लिए स्वस्थ वनस्पति आधारित प्रोटीन का स्रोत है जो मांस नहीं खाते हैं.


हड्डी की सेहत के लिए- सोयाबीन आइसोफ्लेवोन्स का स्रोत है जो हड्डी के स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करता है.


सोयाबीन को डाइट में कैसे करें शामिल
आप उसे सोया दूध के तौर पर शामिल कर सकते हैं. ये वेजेटेरियन के बीच एक लोकप्रिय विकल्प है. टोफू सोयाबीन से निकाला हुआ प्रोडक्ट है और सलाद में तल कर, भुन कर या सेंक कर खाया जा सकता है या सब्जी के साथ पकाया जा सकता है. आप उसे करी डिश या सब्जी के तौर पर तैयार कर इस्तेमाल कर सकते हैं.


सोयाबीन के साइड-इफेक्ट्स- कई स्वास्थ्य फायदों के बावजूद, सोयाबीन के कुछ साइड-इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. सोया से एलर्जी पीड़ितों को सोया आधारित प्रोडक्ट्स के सेवन से बचना चाहिए. इसके अलावा, सोया आधारित प्रोडक्ट्स के ज्यादा खाने से हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है. अपनी डाइट में बदलाव लाने से पहले, आप अपने शरीर के मुताबिक सेवन की मात्रा को सुनिश्चित करें.


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