अमूल ने पशु संरक्षण के लिए काम करनेवाली संस्था पेटा पर बैन लगाने की मांग की है. अमूल के उपाध्यक्ष वलमजी हंबल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया. हंबल ने आरोप लगाया कि गैर सरकारी संगठन भारतीय डेयरी उद्योग की छवि खराब कर 10 करोड़ लोगों की आजीविका बर्बाद करने की कोशिश कर रही है. उनकी तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया, "डेयरी सेक्टर भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है लेकिन अवसरवादी तत्वों जैसे इस संगठन की फैलाई झूठी खबर से जीडीपी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. ऐसे संगठन भारत के दुग्ध उत्पादकों को बेरोजगार करने की साजिश का हिस्सा हैं."


अमूल ने पेटा इंडिया को प्रतिबंधित करने की मांग की


उन्होंने आगे कहा, "भारत में इस तरह के संगठनों की गतिविधियों को रोकने के लिए, गुजरात के दुग्ध उत्पादक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करते हैं कि पेटा को बैन करने के लिए जरूरी कार्यवाही करें ताकि गलत सूचना अभियान से देश के डेयरी उद्योग की छवि कोई धूमिल न कर सके." उन्होंने आरोप लगाया कि पेटा का असली उद्देश्य सिंथेटिक दूध पैदा करनेवाली मल्टीनेशनल कंपनियों की मदद करना है. उन्होंने जोर दिया कि डेयरी उद्योग से जुड़े 10 करोड़ भारतीय दूध दूहते वक्त किसी तरह की पशु क्रूरता में शामिल नहीं होते.


हंबल ने कहा, "भारतीय संस्कृति में पशुधन का महत्व परिवार जैसा है और दुग्ध उत्पादक उनका परिवार के किसी सदस्य की तरह देखभाल करते हैं. इसलिए, क्रूरता का सवाल ही नहीं उठता...ये पूरा प्रकरण एक गलत सूचना अभियान और भारतीय डेयरी उद्योग को तोड़ने का प्रयास है, जो आत्मनिर्भर है, इस तरह दूध और दूध प्रोडक्ट्स के आयात की परेशानी से देश को बचाता है." उन्होंने बताया कि उस पर निर्भर 10 करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएंगे क्योंकि मंशा कई विदेशी कंपनियों से प्रेरित लगती है.


'वीगन विवाद' के बीच पेटा और अमूल में बढ़ा तकरार


पेटा ने इससे पहले अमूल को पौधे पर आधारित दूध और फूड के बाजार का फायदा उठाने की सलाह दी थी. अमूल के बैन की मांग का जवाब देते हुए पेटा इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीलाल वलीयेट ने बयान में कहा, "अमूल ने खुद धौंस दिखाया है, पशुओं के लिए लोगों की चिंता करने और ग्राहकों की बदलती प्रवृत्ति को समझ पाने में असमर्थ है. लेकिन उसकी धमकी से सच्चाई नहीं बदलने जा रही: वीगन खानपान दुनिया में कब्जा जमा रहा है." 


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