Coronavirus: कोरोना वायरस की नई किस्म ने लोगों के बीच डर पैदा कर दिया है. ब्रिटेन में नया स्ट्रेन उजागर होने के बाद कई देशों ने पहचान और अलग-थलग के उपायों को तेज कर दिया है. स्ट्रेन कनाडा समेत कई देशों में पाया गया है और आठ यूरोपीय देशों में उसके पांव पसारने की खबर आ रही है.


कोविड-19 वैक्सीन के असर को समझने का तरीका


कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण कई देशों में शुरू हो चुका है, लेकिन वायरस के बारे में अभी भी वैज्ञानिक ज्यादा नहीं समझ पाए हैं. ब्रिटिश वैज्ञानिक वायरस को बेहतर तरीके से समझने का नायाब तरीका निकाला है. वैज्ञानिक कोविड-19 के साथ 2500 स्वस्थ वॉलेंटियर को संक्रमित करनेवाले हैं. इसके जरिए उनका लक्ष्य शरीर में वायरस के व्यवहार को समझने का प्रयास है.


सन अखबार की रिपोर्ट में बताया गया है कि वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि वायरस को विकसित होने में कितना समय लग सकता है. सरकार ने रिसर्च पर 45 मिलियन डॉलर निवश किया है. रिसर्च को इम्पीरियल कॉलेज, नेशनल हेल्थ सर्विस का रॉयल फ्री हॉस्पीटल और फार्मा कंपनी hVIVO मिलकर अंजाम देंगे. आम तौर से इस तरह के रिसर्च पर नैतिक सवालों का साया मंडराता है क्योंकि परीक्षण में शामिल स्वस्थ लोगों को वायरस के साथ संक्रमित करना होता है.


कोरोना वायरस से खुद को संक्रमित करेंगे वॉलेंटियर


कोरोना वायरस से जानबूझ संक्रमित करने का परीक्षण पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले, इस तरह का मानव परीक्षण टाइफाइड, मलेरिया और फ्लू की बीमारियों पर पर हो चुका है. युवाओं में इम्यूनिटी ज्यादा होने की वजह से उन्हें परीक्षण का हिस्सा बनाया जा रहा है. ब्रिटेन में कोविड-19 वैक्सीन के असर की जांच के लिए खुद को संक्रमित करने की शुरुआत जनवरी में होगी और नतीजे मई में आने की उम्मीद है.


18-30 साल के उम्र वाले वॉलेंटियर को नाक के जरिए प्रायोगिक वैक्सीन दी जाएगी जिसके बाद उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाएगा. सभी वॉलेंटियर को अस्पताल में रहने के दौरान 5300 डॉलर मिलेगा और दिन-रात उनकी निगरानी की जाएगी. इसके आधार पर वैज्ञानिकों की मंशा कोविड-19 की रोकथाम में वैक्सीन के मददगार होने का पतला लगाना है? इससे पहले, बुधवार को ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने खुलासा किया था कि कोविड-19 के मामूली लक्षण वालों में भी इम्यूनिटी विकसित होकर करीब चार महीने तक रह सकती है.


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