पिछले कुछ दशकों से इंटरनेट की पहुंच ने वेब कंटेंट को तेजी से प्रसारित किया है. इनमें पोर्नोग्राफी का प्रसार सबसे तेजी से हर वर्ग तक पहुंचा है. लेकिन सच्चाई यह है कि पोर्नोग्राफी कल्पना और वास्तविकता के बीच की दूरी को धुंधला कर रहा है. इसके फायदे का तो पता नहीं लेकिन इसके नुकसान बहुत ज्यादा है. पोर्न देखने की लत रिश्तों पर हानिकारक प्रभाव डालती है और व्यक्ति के व्यवहार में भी तेज परिवर्तन लाती है.
पोर्न की सतही कल्पना रोमांस के प्रति लोगों के मन में बुरी धारणा को जन्म देती है. इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और यह व्यक्ति को अवसाद में ला सकता है. जीवन पर नकारात्मक असर डालने के साथ ही पोर्नोग्राफी से पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन तक की बीमारी लग सकती है. जानते हैं कि पोर्नोग्राफी की लत से क्या-क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की बीमारी
कई अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि पोर्न की लत पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की आशंका को बढ़ाती है. बार-बार पोर्न देखने से इरेक्शन प्रभावित होता है जो पुरुषत्व के लिए बेहद घातक है. पोर्न की लत दिमाग में उस गंदे विचार को भरता है जो पोर्नग्राफी में देखा गया है. इससे संबंध बनाने के दौरान वास्तविकता से तुलना की जाती जो अक्सर गलत होता है और इस स्थिति में व्यक्ति अवसादग्रस्त होने लगता है.
सामाजिक अलगाव का खतरा
नियमित रूप से पोर्न देखने से दिमाग में ऐसी धारणा पैदा हो जाती है कि यही सबसे अच्छी चीज है. फिर पोर्न देखने के लिए एकांत की आवश्यकता होती है. ऐसे में दिमाग अन्य चीजों पर नहीं जाता और इसका नतीज यह होता है कि वह समाज से कट जाता है. इसकी ज्यादा लत लगने से लोगों के सामने शर्मिंदगी का एहसास होता है. इसके कारण वह अन्य लोगों के साथ उठना-बैठना बंद कर देता है. फिर चिंता और अवसाद में व्यक्ति रहने लगता है.
रेप और यौन हिंसा में संलिप्तता
पोर्न को अक्सर शराब से भी जोड़कर देखा जाता है. लेकिन कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो लोग पोर्न को ज्यादा देखते हैं, उनमें आक्रामक यौन हिंसा करने की प्रवृति बढ़ जाती है. ऐसे लोग बलात्कार जैसे दुराचारी हिंसा में लिप्त हो सकते हैं.
निराशा में जीने के आदी
अक्सर देखा गया है कि जो लोग ज्यादा पोर्न देखते हैं उनमें निराशा छा जाती है. ऐसे लोग रोजगार, रिलेशनशिप और फाइनेंशियल मुसीबत में फंसे रहते हैं. इस स्थिति में शरीर की तंत्रिका कोशिकाओं में डोपामाइन का स्त्राव तेज होने लगता है जिससे दिमाग में निराशावादी प्रवृति बढ़ने लगती है और आशावादी भावनाओं का असर कम होने लगता है.
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