वजन कम करने के पीछे सिर्फ डाइट चार्ट या वर्कआउट ही नहीं बल्कि कई अन्य फैक्टर भी जिम्मेदार होते हैं. जब बात शरीर का वजन कम करने की हो, तो ये अहम भूमिका निभाते हैं और हार्मोन्स उसमें से एक हैं. हार्मोन्स आपके मूड, मेटाबोलिज्म, भूख की इच्छा और यहां तक कि आपके वजन को भी प्रभावित करता है. इसलिए, सिर्फ सही आहार का इस्तेमाल और दिन में दो बार व्यायाम करने से आपको मदद नहीं मिलेगी. आपको बेहतर नतीजों के लिए अपने हार्मोन्स को भी संतुलित करना होगा. आपको कुछ हार्मोन्स के बारे में जानना चाहिए. ये आपके वजन घटाने की प्रक्रिया को रोक सकते हैं.


इंसुलिन


इंसुलिन, एक ऐसा हॉर्मोन है जो आपके पैंक्रियाज (अग्न्याशय) नाम के अंग से उत्पन्न होता है. ये ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने का जिम्मेदार होता है. जब आपका वजन ज्यादा होता है, तो शरीर में मौजूद इंसुलिन का लेवल वजन कम करने को मुश्किल बना देता है. इसके अलावा, अगर आप रिफाइंड भोजन खा रहे होते हैं, तो अग्नाशय को ज्यादा इंसुलिन पैदा करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. अपने इंसुलिन लेवल को संतुलित करने के लिए अपनी डाइट से शुगर को कम करना होगा, निम्न ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले आहार को खाना होगा और अपनी डाइट में प्रोटीन से भरपूर फूड को शामिल करना होगा.


कोर्टिसोल


कोर्टिसोल को तनाव पैदा करनेवाला हार्मोन कहा जाता है. इस हार्मोन का संबंध इंसुलिन से जुड़ा होता है. ब्लड में इंसुलिन लेवल की बढ़ोतरी वजन कम करने को मुश्किल बना देती है. तनाव देनेवाले हार्मोन्स में वृद्धि से आपके अंदरुनी अंगों के आसपास आंत की चर्बी का जमाव होने लगता है. जिसका नतीजा तोंद निकलने की शक्ल में सामने आता है. मेडिटेशन और 8 घंटे की शांतिपूर्ण नींद से आप अपने कोर्टिसोल लेवल को नियंत्रित कर सकते हैं.


घ्रेलिन


घ्रेलिन हार्मोन पेट खाली होने की सूरत में पैदा होता है. घ्रेलिन को भूख बढ़ाने वाला हार्मोन भी कहा जाता है. हार्मोन्स हाइपोथेलेमस को संदेश भेजते हैं ये बताने के लिए आपको खाना है. खाली पेट हार्मोन का लेवल अत्यधिक होता है और बाद में घट जाता है. लेकिन पाया गया है कि मोटे लोगों मे घ्रेलिन का लेवल खाने के बाद भी कम नहीं होता. हाइपोथेलेमस संदेश हासिल नहीं कर पाता है और आम तौर से अधिक खाने के लिए प्रेरित करता है. शुगर से बचाव और ज्यादा प्रोटीन युक्त फूड का शामिल करना ये दो ऐसे तरीके हैं जिनसे घ्रेलिन हार्मोन नियंत्रित रहता है.


लेप्टिन


लेप्टिन हार्मोन शरीर की वसा कोशिकाओं से पैदा होता है औ भूख कम करने का जिम्मेदार होता है. जिससे आपको तृप्ति का एहसास हो. ये हार्मोन दिमाग को संकेत भेजता है कि ज्यादा फैट इकट्ठा हो गया है और इस तरह आपको ज्यादा खाने से रोकता है. लेकिन मोटे लोगों में हार्मोन्स उस तरह काम नहीं करते जैसा करना चाहिए. दिमाग को रुकने के लिए संकेत नहीं मिलता है और शख्स अत्यधिक खाए चला जाता है. इसके दो प्रमुख कारण इंसुलिन लेवल और हाइपोथेलेमस में सूजन को बढ़ाते हैं. लेप्टिन को काबू करने के लिए सूजन रोधी आहार का सेवन किया जाना चाहिए, नियमित व्यायाम और अच्छी नींद का पालन करना चाहिए.


एस्ट्रोजेन


एस्ट्रोजेन हार्मोन महिला की यौन विशेषताओं के विकास का जिम्मेदार होता है. एस्ट्रोजेन का बहुत ज्यादा और बहुत कम लेवल होने से वजन बढ़ सकता है. पाया गया है कि इस हार्मोन का लेवल सामान्य वजन की महिलाओं की तुलना में मोटी महिलाओं में ज्यादा होता है. एस्ट्रोजेन लेवल को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है कि जीवन शैली में बदलाव लाया जाए. रोजाना व्यायाम और फाइबर से भरपूर और हरी पत्तेदार सब्जियों का इस्तेमाल एस्ट्रोजेन के लेवल को काबू करने में मदद कर सकता है.


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