Original Kosa Silk Identity: छत्तीसगढ़ की पहचान कोसा सिल्क आज पूरे भारत में मशहूर है. कोसा की साड़ियों में जो सादगी दिखती है वो देखने लायक होती है. इसकी गोल्डन झलक साड़ियों को एकदम नया लुक देती है. कोसा सिल्क की चमक सालों खराब नहीं होती. इसे मेंटेनेंस की भी बहुत जरूरत नहीं पड़ती है. भारत का कोसा सिल्क विदेशों में भी जाता है. कोसा सिल्क देखने में बहुत खूबसूरत लगता है. इससे साड़ियां और सूट तैयार किए जाते हैं. छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प में आपको कोसा आसानी से मिल जाएगा. 


कोसा सिल्क कहां बनता है और क्यों फेमस है
भारत में कोसा सिल्क छत्तीसगढ़, बिहार और पश्चिम बंगाल में मिलता है. इसे टसर सिल्क भी कहते हैं. भारत टसर सिल्क का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. आदिवासी बड़े पैमाने पर टसर सिल्क का धागा तैयार करते हैं. भागलपुर और आसपास के इलाकों में ये रेशम पाया जाता है. इसके अलावा बिहार और पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में भी टसर सिल्क मिलता है. 


ऑरिजनल कोसा सिल्क की साड़ियों की कीमत
आजकल मार्केट में डुप्लीकेट सामान खूब मिलते हैं खासतौर से कपड़ों के बाजार ऐसी कॉपियों से भरे हुए हैं. अगर बात करें ऑरिजनल कोसा सिल्क की तो ये साड़ियां 2 हजार रुपए से शुरु होती हैं और 50 हजार तक इनकी कीमत जाती है. 


कोसा सिल्क की कैसे करें पहचान
1- ऑरिजनल कोसा सिल्क की पहचान ये है कि इसके कपड़े में आपको गोल्डन झलक मिलेगी. आपको डल गोल्डन और ब्राउन शेड में ही ये साड़ियां मिलेंगी.
2- आप इसके थ्रेड को जलाकर देख सकते हैं. जलने पर धागा राख नहीं बल्कि एक अलग रेसिड्यू छोड़ेगा.
3- जब आप इसके धागे को जलाएंगे तो ऑरिजनल कोसा की गंध काफी ज्यादा होगी. 
4- कोसा सिल्क की शाइन और टेक्सचर भी इसकी पहचान है. इसका टेक्सचर काफी सॉफ्ट होता है. 


कोसा सिल्क की कैसे करें देखभाल
सिल्क की साड़ियों को वैसे तो ड्राई क्लीन ही कराना चाहिए. आप इस साड़ी को घर में हल्के साबुन या लिक्विड सोप से हेंड वॉश से घर में भी धो सकते हैं. ध्यान रखें इन्हें रगड़ें नहीं बस पानी में डिप करें और छांव में सुखा दें. '


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