आजकल के डिजिटल युग में, जहां इंटरनेट हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है, वहीं ऑनलाइन बुलीइंग यानी इंटरनेट पर दूसरों को परेशान करने की प्रवृत्ति भी बढ़ती जा रही है. ऑनलाइन बुलीइंग में लोग अक्सर सोशल मीडिया, चैट रूम्स, ईमेल, फेसबुक, व्हाट्सएप जैसी वेबसाइट्स, ऑनलाइन गेम्स या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके दूसरों को तंग करते हैं. यह विशेषकर बच्चों और युवाओं में चिंता का विषय है, क्योंकि वे इसके प्रभावों से गहराई से प्रभावित हो सकते है.
ऑनलाइन बुलीइंग के कारण बच्चे अकेलेपन, तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं. इसलिए, यह जरूरी है कि माता-पिता और अभिभावक इस विषय पर सजग रहें और अपने बच्चों को इससे बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करें. एक्सपर्ट्स के अनुसार आइए जानते हैं कि अपने बच्चों को ऑनलाइन बुलीइंग से कैसे बचाएं.
जागरूकता फैलाएं
हमें अपने बच्चों को साइबर बुलीइंग के बारे में बताना बहुत जरूरी है. साइबर बुलीइंग से हमारे बच्चों को काफी मानसिक और भावनात्मक नुकसान हो सकता है. इसलिए हमें उन्हें इस बुराई से बचाने के लिए कुछ बातें समझानी चाहिए जैसे कि साइबर बुलीइंग क्या होती है, इसके बारे में उन्हें बताएं. कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन उन्हें परेशान करता है, गालियां देता है या डरा-धमकाता है. अगर कोई ऑनलाइन उनसे बुरा व्यवहार करे तो वे हमें या किसी बड़े को बताएं, उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं,
निगरानी रखें
बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखें. उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स और मोबाइल फोन पर नियमित रूप से जांच करें.बच्चों के डिवाइस और इंटरनेट उपयोग की समय सीमा तय करें. उन्हें सोशल मीडिया और गेमिंग ऐप्स का सुरक्षित तरीके से उपयोग सिखाएं. केवल अपने दोस्तों को ही अपनी पर्सनल जानकारी शेयर करें. अनजान लोगों से ऑनलाइन बातचीत न करें, उन्हें अपनी फोटोज न भेजें.खुले वातावरण का निर्माण करें - बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे आपसे खुलकर ऑनलाइन बुलीइंग की घटना के बारे में बात करें.
सहायता लें
यदि बच्चा ऑनलाइन बुलीइंग का शिकार हो जाता है तो स्कूल प्रशासन और साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें. बच्चों को सकारात्मक दृष्टिकोण दें और उनका आत्मविश्वास बढ़ाएम कि वे इस समस्या का सामना कर सकते हैं.
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