What is Plant Based Meat: आप नॉनवेज खाने के शौकीन हैं लेकिन हेल्थ की वजह से कम करना चाहते हैं या छोड़ना चाहते हैं तो प्लांट बेस्ड मीट एक अच्छा विकल्प है. विदेशों में तो ये काफी बड़ा बिजनेस है और अब इंडिया में भी ये तेजी से बढ़ रहा है. हाल में महेन्द्र सिंह धोनी ने जिस कंपनी में निवेश किया है वो प्लांट बेस्ड मीट प्रोडक्ट बनाती है. इसके अलावा इस बिजनेस में Blue Tribe Foods, Licious और Greenest जैसे बड़ी कंपनी शामिल हैं. Shaka Harry (शाका हैरी) जैसे वेंचर प्लांट बेस्ड मीट के हैम बर्गर, मटन समोसा, चिकन नगेट्स और फ्राइज सेल करते हैं जिसका टेस्ट बिल्कुल नॉनवेज जैसा होता है लेकिन ये बने वेजिटेरियन मीट से होते हैं. यहां तक कि इनमें मीट जैसा रेड कलर लाने के लिये चुकंदर के जूस का इस्तेमाल किया जाता है


क्या होता है प्लांट मीट? 
ये कलर, टेस्ट और टेक्सचर में एनिमल मीट जैसा दिखता है लेकिन ये प्लांट से तैयार किया जाता है. इसमें आपको चिकन, मटन और सीफूड जैसा मीट मिलेगा लेकिन वो किसी जानवर नहीं बल्कि प्लांट फैक्ट्री में तैयार किया जाता है. साथ ही इसमें दूध का भी विकल्प होता है जिसमें जानवर की जगह ओट्स, बादाम या सोयाबीन से दूध तैयार किया जाता है. इसका सबसे बड़ा एक उदाहरण है ओट मिल्क का. ओट से बना मिल्क बिल्कुल गाय-भैंस के दूध जैसा दिखता है. इसका कलर, टेक्सचर और स्वाद भी रेगुलर मिल्क जैसा दिखता है 


कैसे बनता है प्लांट बेस्ड मीट?
इसमें दूध, ओट्स, चावल, बादाम, सोयाबीन, पनीर, टॉफू, नारियल तेल और बाकी कई तरह के प्लांट और उनसे निकलने वाले Substance से तैयार किया जाता है. ये फूड एक्सपर्ट की निगरानी में बनाया जाता है जिसका लुक, टेस्ट, कलर और बाकी फील बिल्कुल मीट जैसा होता है लेकिन ये पूरी तरह वेजिटिरियन होता है. 


क्या हेल्थ के लिये बेहतर है प्लांट बेस्ड मीट?
जानवर से तैयार मीट में कई बार प्रोटीन फैट का कोई चीज ज्यादा है तो उसे कम नहीं किया जा सकता है लेकिन प्लांट बेस्ड मीट में को हेल्दी वे में तैयार किया जा सकता है जिससे उसमें बहुत ज्यादा फैट या कोई दूसरे ऐसे कॉम्पोनेंट ना हों जिससे वो नुकसान करे.


प्लांट बेस्ड मीट का स्कोप
विदेशों में तो प्लांट बेस्ड मीट मीट का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है. वॉशिंगटन की गुड फूड इंस्टीट्यूट के मुताबिक  साल 2021 में 7.4 बिनियन डॉल का बिजनेस किया जिसमें सबसे ज्यादा दूध और फिर मीट और दूसरे प्रोडक्ट रहे.


हालांकि इंडिया में इसका फिलहाल स्कोप विदेशों जैसा ब्राइट नहीं है क्योंकि दूध के मामले में लोग नेचुरल मिल्क लेना ज्यादा पसंद करते हैं. विदेशों में ऑल्टरनेटिव मिल्क लेने की एक बड़ी वजह लैक्टोज इंनटॉलरेंस है जिसमें लोगों को गाय-भैंस या किसी जानवर के दूध और उससे बने प्रोडक्ट से एलर्जी होती है इसलिये वो दूसरे विकल्प जैसे ओट मिल्क, बादाम मिल्क, सोया मिल्क जैसे ऑप्शन लेते हैं.


शाका हैरी फूड चेन के को फाउंडर संदीप देवगन का कहना है कि वो प्रॉपर वेजिटेरियन लोगों को टार्गेट कर भी नहीं रहे हैं बल्कि वो उन लोगों के लिये ये बिजनेस कर रहे हैं जो हार्डकोर नॉनवेजिटेरियन है या कभी कभी नॉन वेज खाते हैं. अगर वो नॉनवेज छोड़ना चाहते हैं या सेम टेस्ट और फील लेना चाहते हैं तो प्लांट बेस्ड मीट उनके लिये बेस्ट ऑप्शन है
हालांकि इसके विरोधाभास में बलराम सिंह यादव ( मैनेजिंग डायरेक्टर ऑफ Godrej Agrovet Ltd) मानते हैं प्लांट बेस्ड मीट का स्कोप ज्यादा नहीं है.  उनका कहना है कि विदेशों में लोग रेड मीट के रिप्लेसमेंट के तौर प्लांट बेस्ड मीट खाते हैं लेकिन इंडिया में लोग चिकन और फिश ज्यादा खाते हैं और रेड मीट कम खाते हैं.


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