What is Time Out Technique: वैसे तो टाइम आउट टर्म खेलों में भी यूज होता है लेकिन बच्चों के संदर्भ में इसका मतलब है बच्चों को उनकी एक्टविटी से ब्रेक देना. जब बच्चे कोई गलत व्यवहार करते हैं, किसी बात पर ज्यादा ज़िद करते हैं या ऐसा बर्ताव करते हैं जो उनको नहीं करना चाहिये तो उनको पैरेंट्स टाइम आउट देते हैं. 
क्या है टाइम आउट ?
2 से 6 साल तक के बच्चों के बिहेवियर को सुधारने या उनकी गलती बारे में समझाने के लिये टाइम आउट सुधारने की टेक्नीक है. लेकिन पैरैंट्स इसे पनिशमेंट के तौर पर लेते हैं जो गलत है. टाइम आउट एक बिहेवियर मोडिफिकेशन की एक्टिविटी है जिसे बच्चों को समझाने और सुधारने के लिये दिया जाता है ना कि बच्चों को डराने या धमकाने के लिये.  


टाइम आउट का सही तरीका
1- सबसे पहले बच्चों को टाइम आउट की वॉर्निंग दें और उनको समझायें कि अगर उन्होंने गलत बर्ताव किया तो बर्ताव में सुधार के तौर पर टाइम आउट मिलेगा और फिर भी बच्चा वो गलती करे तो उसे टाइम आउट दें. 
2- टाइम आउट के दौरान बच्चे को किसी सुरक्षित जगह पर शांत बैठने के लिये कहा जाता है. उनको रूम में , बेड पर या सोफे पर टाइम आउट निर्देश के साथ बैठने के लिये कहा जाता है ताकि वो उस गलती को रिपीट ना करें और अपने गलत बर्ताव के समझें.
3- टाइम आउट की जगह ऐसी हो जहां बहुत ज्यादा टॉयज, सोशल एक्टिविटी, टीवी या ऐसा कुछ नहीं हो जहां बच्चा दुबारा एंगेज हो जाये. टाइम आउट की जगह ऐसी हो जहां बच्चे को पता चले कि उसने गलती की है.
4- अगर बच्चा वार्निंग के बाद गलती करे तो उसे नेगोसिएशन में ना आयें और टाइम आउट दें. खुद भी इस बात को समझे कि ये एक्टिविटी बच्चे को डराने के लिये नहीं और टाइम आउट के दौरान बच्चे पर झल्लाना या चिल्लायें नहीं.
5- बच्चे को टाइम आउट के वक्त ऐसी जगह पर ना रखें जहां वो एकदम अकेला हो या अपने को नुकसान पहुंचा ले. साथ ही टाइम आउट 2 से 5 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिये. अगर बच्चा अपनी गलती महसूस करे तो टाइम आउट बंद कर दें. 


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