Womens Equality Day: महिला मानव जाति का आधार हैं. एक महिला जीवन को आगे बढ़ाती है. एक महिला सिर्फ बच्चे को जन्म ही नहीं देती बल्कि उसका पालन पोषण भी करती है. बच्चे को अच्छे संस्कार अपनी मां से ही मिलते हैं. एक महिला न जाने कितने रिश्तों में रंग भरती है. कभी वो मां बनकर ममता लुटाती है तो कभी पत्ती, बेटी और बहन बनकर रिश्ते निभाती है, लेकिन यही महिला कई बार अपने हक की लड़ाई भी लड़ रही होती है. भारत समेज ऐसे कई देश हैं जहां महिलाओं को आज भी बराबरी के हर के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है. घर हो या ऑफिस महिलाओं को हमेशा पुरुषों और पुरुषवादी सोच ने कम ही समझा है, लेकिन एक बार किसी महिला को कोई जिम्मेदारी देकर तो देखो वो उसे पुरुषों से कहीं बेहतर तरीके से निभा सकती है. सबसे खास बात ये है कि महिला हर चीज को खूबसूरत बना देती है. महिलाएं आज से नहीं बल्कि सालों से अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं. इसीलिए हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है. आइये जानते हैं क्या है इसका इतिहास?
महिला समानता दिवस का इतिहास
1- अमेरिका में 1853 से महिलाओं के अधिकारों की लडाई शुरु हुई थी. यहां महिलाओं ने शादी के बाद संपत्ति पर अधिकार मांगने की शुरुआत की थी. उस वक्त अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में महिलाओं को बहुत कम अधिकार दिए जाते थे. पुरुष महिलाओं को अपना गुलाम समझते थे.
2- इसके बाद साल 1890 में अमेरिका में नेशनल अमेरिकन वुमन सफरेज एसोसिएशन का गठन किया गया. इस वक्त तक अमेरिका में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार नहीं था. इस संगठन के लोगों ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार देने की बात की. साल 1920 में महिलाओं को अमेरिका में वोटिंग का अधिकार मिल गया.
3- इसके बाद 1971 में अमेरिकी संसद ने हर साल 26 अगस्त को वुमन इक्विलिटी डे के तौर पर मनाने की घोषणा की. अमेरिका में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई. इसके बाद पूरी दुनिया में महिला समानता दिवस मनाया जाने लगा है.
क्या खास होता है इस दिन
इस दिन अमेरिका समेत पूरी दुनिया में महिलाओं के अधिकारों की बात की जाती है. जगह-जगह कॉंफ्रेंस और सेमिनार का आयोजन किया जाता है. महिला संगठन लोगों में महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए कैंपेन चलाते हैं.
ये भी पढ़ें-