कोविड-19 के मामले आम तौर पर हल्के, गंभीर और नाजुक वर्गीकृत किए जाते हैं. मात्र 81 फीसद मरीजों को गैर पेचीदा या हल्की बीमारी होती है और बहुत सारे पूरी तरह एसिम्पटोमैटिक होते हैं. इस तरह के मरीजों को अस्पताल में इलाज की जरूरत नहीं होती बल्कि 14 दिनों का होम क्वारंटीन और आइसोलेशन काफी समझा जाता है, जबकि उनके परिजनों को भी इस पीरियड में खुद के क्वारंटीन की सलाह दी जाती है.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लाखों भारतीय होम क्वांरीटन हैं और आनेवाले दिनों में हो सकता है ज्यादा लोग इसमें शामिल हों. क्वारंटीन में रहते हुए कुछ नियमों के पालन की जरूरत होगी, चेतावनी के संकेत को देखने की जरूरत होगी और होम क्वारंटीन के लिए कुछ जरूरी सामग्री तैयार रखने होंगे.
होम क्वारंटीन किसे चुनना चाहिए?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, होम आइसोलेशन के लिए योग्य मरीजों में ये शख्स शामिल होंगे-
1. जिसे चिकित्सकीय रूप से बहुत हल्का या प्री-एसिम्पटोमैटिक या एसिम्टोमैटिक मामला बताया गया हो
2. जिसके पास अपने घर पर सेल्फ आइसोलेशन की सुविधा उसके या उसके परिवार को होनी चाहिए
3. घर पर एक देखभाल करनेवाला उपलब्ध होना चाहिए जो 24 घंटे मरीज की जरूरत का ख्याल रखे
होम आइसोलेशन पीरियड के दौरान अस्पताल और देखभाल करनेवाले के बीच संवाद एक शर्त है. डॉक्टर के उचित मूल्यांकन के बाद 60 वर्ष से ऊपर के मरीज और हाइपरटेंशन, डायबिटीज, दिल की बीमारी, लंग, लीवर, किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों को सिर्फ होम आइसोशन की अनुमति दी जाएगी. लेकिन खराब इम्यूनिटी से जूझ रहे कोविड-19 के मरीज होम आइसोलेशन के योग्य नहीं होंगे.
होम क्वारंटीन के दौरान क्या नहीं करें
भाप लेने से कोरोना वायरस के मारने की एक गलत धारणा है. डॉक्टरों ने उसे भ्रामक और फर्जी बताया है. विशेषज्ञों के मुताबिक भाप लेना न सिर्फ सुरक्षा का गलत एहसास देता है बल्कि लंग्स की अंदरुनी पतरों के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है. ऑक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी करने की भी जरूरत नहीं है.
होम क्वारंटीन खत्म करना कब सुरक्षित है?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, होम आइसोलेशन के तहत मरीजों को लक्षण शुरू होने के 10 दिन या तीन दिन तक बुखार नहीं होने के बाद छुट्टी दे दी जाएगी. उसके बाद मरीज को घर पर आइसोलेट करने की सलाह दी जाएगी और अगले 7 दिनों तक अपने स्वास्थ्य की खुद से मॉनिटरिंग करनी होगी.
होम क्वारंटीन और आइसोलेशन के बीच अंतर क्या है?
भारत में दोनों अक्सर एक दूसरे के साथ इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है. सीडीसी के मुताबिक आइसोलेशन दूसरों से उन लोगों को दूर रखता है जो एसिम्पटोमैटिक मामले समेत कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं. ये अस्पताल या घर पर हो सकता है. क्वारंटीन दूसरों से अलग करती है उन लोगों को जो संक्रमित शख्स के संपर्क में थे और उनकी गति को उनके घरों में उनके नतीजे निगेटिव आने या बिना लक्षण जाहिर हुए 14 दिन का पीरियड पूरा होने तक रोक देती है.
आवश्यक वस्तुओं की सूची
हैंड सैनेटाइजर, पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मोमीटर, 14 दिन की खाद्य सामग्री का जखीरा और साफ-सफाई के सामान, डॉक्टर की बताई दवा, इम्यूनिटी बढ़ानेवाली सप्लीमेंट्स जैसे, विटामिन सी, डी और जिंक, डिस्पोजेबल प्लेट, प्याला, क्वांरीटन रूम में फर्श की सफाई के लिए डिसइंफेक्टेंट स्प्रे या वाइप्स जरूरी होंगे.
तीमारदार के लिए आवश्यक वस्तुओं की सूची
क्वारंटीन रूम में दाखिल होते वक्त या मरीज के बर्तन की सफाई के लिए सर्जिकल ग्लोव्स, सर्जिकल मास्क पर कपड़े का मास्क या डबल मास्क की जरूरत होगी. अगर आपका मामला एसिम्पटोमैटिक है, तो कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के 10 दिनों बाद आप आम तौर से दूसरों के साथ हो सकते हैं.
कोरोना का कहर: देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस वाला जिला बना बेंगलुरू, पुणे दूसरे नंबर पर
कोरोना मरीजों के लिए उम्मीद की किरण हैं पटना के गौरव राय, "ऑक्सीजन मैन" के नाम से मशहूर