होम आइसोलेशन खत्म करने का सही समय कब होता है? इस गाइडलाइन्स को अपनाएं कोरोना के मरीज
होम आइसोलेशन के तहत जरूरी है कि तीमारदार की मदद शामल हो जो बीमार मरीज की देखभाल करेगा. आम तौर कोरोना पॉजिटिव मरीज को क्वारंटीन कर लेना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए और लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए. आइसोलेशन पीरियड के ठीक खत्म होने के बाद लोगों से मिलना या बाहर निकलना सुरक्षित होगा.
कोरोना वायरस की जांच में पॉजिटिव पाए जानेवाले ज्यादातर मरीज होम क्वारंटीन के तहत ठीक हो जाते हैं. कोविड-19 के सभी मामलों में अस्पताल में दाखिले की जरूरत नहीं होती. होम क्वारंटीन का मतलब ऐसा समय है जब पॉजिटिव मरीज खुद को घर पर डॉक्टर की सलाह से सभी सावधानी और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आइसोलेट कर ले. हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों को आम तौर से होम क्वांरटीन करने की सलाह दी जाती है. अच्छी रिकवरी के लिए तीमारदार और सेल्फ आइसोलेशन की सुविधा का होना जरूरी है. लेकिन क्वारंटीन खत्म करने का सही समय कब है? होम क्वारंटीन या आइसोलेशन कब खत्म होना चाहिए?
होम आइसोलेशन कब खत्म करना चाहिए?
कोविड-19 के मरीज को ठीक होने में 14 दिन लग सकते हैं. मरीज का होम क्वारंटीन पीरियड खत्म हो सकता है अगर कम से कम 14-17 दिन लक्षणों के जाहिर होने के बाद गुजर गए हैं. वायरस की जांच में पहली बार पॉजिटिव पाए जाने के 10 दिन बाद एसिम्पटोमैटिक मरीज क्वारंटीन से बाहर आ सकते हैं. लेकिन बेहतर होगा डॉक्टर से आइसोलेशन खत्म करने के सही समय के बारे में राय ले लें.
क्वारंटीन की अवधि और उसे खत्म करने के लिए सही समय आपके लक्षणों की तीव्रता और प्रकार पर भी निर्भर कर सकता है. संक्रमण का आम तौर से उत्कृष्ट निशान बुखार होता है. 24 घंटे के अंतराल से RT-PCR की दो निगेटिव रिपोर्ट का होना एक संकेत के तौर पर होता है कि शख्स कोरोना वायरस से ठीक हो गया है और होम क्वारंटीन खत्म कर सकता है.
मरीजों को ठीक होने में 14 दिन लग सकते हैं
होम आइसोलेशन का पीरियड 14 दिनों का माना जाता है क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि ये समय वायरस के खत्म होने के लिए महत्वपूर्ण होता है. एम्स डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया बताते हैं, "ये वैज्ञानिक तौर पर साबित है कि हल्के मामलों में वायरस छह या सात दिनों बाद मर जाता है." उनका ये भी कहना है कि RT-PCR टेस्ट के नतीजे अभी भी पॉजिटिव आ सकते हैं अगर ये वायरल मलबे को उठाए. ध्यान रखना चाहिए कि कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों का आइसोलेशन पीरियड सामान्य के मुकाबले ज्यादा लंबा हो सकता है और अतिरिक्त जांच की भी जरूत पड़ सकती है. पहली बार लक्षण जाहिर होने से लेकर 17 दिन पूरा होने पर एक शख्स अपने काम या अन्य रूटीन में शामिल हो सकता है.
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