ब्लड ग्रुप कोविड-19 संक्रमण के प्रति क्यों खास महत्व रखता है? रिसर्च में सामने आई ये चौंकाने वाली बात
क्या ब्लड ग्रुप और कोविड-19 के बीच कोई संबंध हो सकता है? वैज्ञानिकों ने लैब आधारित रिसर्च कर सनसनीखेज नतीजा निकाला है. हालांकि, शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि सिर्फ नतीजे से पूरी तरह नहीं खुलासा होता है कि कैसे कोरोना वायरस अलग-अलग ब्लड ग्रुप वाले लोगों को प्रभावित करता है.
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पिछले कुछ महीनों में ब्लड ग्रुप और कोविड-19 के बीच संबंध पर कई रिसर्च हो चुके हैं. अब, एक नए रिसर्च में कुछ सबूत सामने आए हैं, जिससे संकेत मिलता है कि विशेष ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोविड-19 से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा हो सकता है. खास तौर से, रिसर्च में पाया गया कि नया कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2) ब्लड ग्रुप ए की तरफ ज्यादा आकर्षित होता है.
कोविड-19 संक्रमण पर ब्लड ग्रुप की को लेकर रिसर्च
शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस की सतह पर मौजूद एक प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया, जिसे रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) कहा जाता है, ये वायरस का हिस्सा होता है जो मेजबान कोशिकाओं से जुड़ता है. ये इसे वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बनाता है जानने के लिए कि कैसे वायरस लोगों को संक्रमित करता है.
लैब आधारित रिसर्च में विशेषज्ञों ने मूल्यांकन किया कि आरबीडी ए, बी और ओ ब्लड ग्रुप्स में श्वसन और लाल रक्त कोशिकाओं से कैसे एक दूसरे को प्रभावित करता है. नतीजे से साबित हुआ कि ये प्रोटीन ब्लड ग्रुप ए वाले सांस की कोशिकाओं से जुड़ने के लिए मजबूत प्राथमिकता रखता है, लेकिन ब्लड ग्रुप ए की लाल रक्त कोशिकाओं या अन्य ब्लड ग्रुप के श्वसन या लाल कोशिकाओं को प्राथमिकता नहीं मिली.
शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रोटीन का ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों के फेफड़ों में ब्लड टाइप ए एंटीजन से जुड़ने और पहचानने की प्राथमिकता ए ब्लड ग्रुप और कोविड-19 संक्रमण के बीच संभावित संबंध का पता चल सकता है. रिसर्च के नतीजे ब्लड एडवांसेज नामक पत्रिका में 3 मार्च को प्रकाशित किए गए थे.
कोरोना ब्लड ग्रुप ए की तरफ ज्यादा आकर्षित होता है
रिसर्च टीम में शामिल बोस्टन के ब्रिघम एंड वीमेन हॉस्पीटल के डॉक्टर सीन स्टोवेल ने कहा, "ये दिलचस्प है कि वायरल आरबीडी सांस कोशिकाओं में सिर्फ ब्लड ग्रुप ए एंटीजेन को प्राथमिकता देता है, जिससे अंदाजा होता है कि वायरस किस तरह अधिकांश मरीजों के अंदर दाखिल होता है और उन्हें संक्रमित करता है."
उन्होंने बताया कि ब्लड का ग्रुप एक चुनौती है क्योंकि ये वंशानुगत होता है और उसे हम बदल नहीं सकते, लेकिन अगर हमें बेहतर तरीके से समझना कि वायरस लोगों के ब्लड ग्रुप से कैसे जुड़ता है, तो हम नई दवा दवा या रोकथाम के तरीकों का पता लगाने में सक्षम हो सकेंगे. शोधकर्ताओं का कहना है कि सिर्फ नतीजे से पूरी तरह भविष्यवाणी नहीं की जा सकती कि कैसे कोरोना वायरस अलग-अलग ब्लड ग्रुप वाले लोगों को प्रभावित करता है. स्टोवेल ने बताया, "हमारा अवलोकन कोविड-19 संक्रमण पर ब्लड ग्रुप के कुछ प्रभाव को बता सकता है."
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