नई दिल्लीः अक्‍सर पेरेंट्स सोचते हैं कि बच्चों को ढाई साल की उम्र होते ही प्ले स्कूल में डाल दें. ताकि बच्चों कुछ सीख जाएगा. बच्चों को इंटरव्यू के लिए तैयार करने लगते हैं. छोटे बच्चों को रेस में शामिल करने के लिए तैयार करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं ये बच्चों के लिए ठीक नहीं है. जी हां, हाल ही में आई एक रिसर्च भी यही कहती है.


क्या कहती है रिसर्च-
हालिया रिसर्च के मुताबिक, बच्चों को जल्दी स्कूल भेजने से उनके बिहेवियर पर इफेक्ट होता है. रिसर्च के मुताबिक, बच्चों को स्कूल भेजने की उम्र जितनी ज्‍यादा होगी बच्चे का खुद पर उतना ही सेल्फ कंट्रोल होगा और बच्चा उतना ही हाइपर एक्टिव होगा.


स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा की गई एक रिसर्च के मुताबिक, बच्चों को 5 की उम्र के बजाय 6 या 7 की उम्र में स्कूल भेजना चाहिए. रिसर्च में पाया गया कि जिन बच्चों को 6 साल की उम्र में किंडरगार्डन भेजा गया था. 7 से 11 साल की उम्र में उनका सेल्फ कंट्रोल बहुत अच्छा था.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
साइक्लोजिस्ट मानते हैं कि सेल्फ कंट्रोल एक ऐसा गुण है जिसे बच्चों के शुरूआती समय में ही डवलप किया जा सकता है. जिन बच्चों में सेल्फ कंट्रोल होता है वे फोकस के साथ आसानी से किसी भी परेशानी या चुनौतियों का सामना कर पाते हैं.


कैसे की गई रिसर्च-
स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता थॉमस डी और हैन्स हेनरिक सीवर्जन ने अपनी इस रिसर्च के नतीजों के लिए दानिश नैशनल बर्थ कोवर्ट डीएनबीसी से डाटा इकट्ठा किया. रिसर्च के दौरान 7 साल के बच्चों की मेंटल हेल्थ पर फोकस किया गया. इसके लिए तकरीबन 54,241 पेरेंट्स का फीडबैक लिया गया. वहीं 11 साल की उम्र के बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए 35,902 पेरेंट्स के फीडबैक लिए गए.


रिसर्च के नतीजे-
रिसर्च के नतीजों के दौरान पाया गया कि जिन बच्चों ने एक साल देर से स्कूल जाना शुरू किया था उनका हाइपरऐक्टिव लेवल 73 पर्सेंट बेहतर था.


आपको बता दें, नॉर्थ यूरोपियन कंट्रीज में बच्चों का लेट एडमिशन करवाया जाता है.