6 महीने बच्चे को सिर्फ अपनी मां का दूध ही पूरा पोषण मिल जाता है. दूध छूड़ने के बाद जब वह थोड़ा-बहुत ठोस आहार लेना शुरू करता है तो हमें उसके लिए पौष्टिक खाने की चीजें बनाने की जरूरत होती है. लेकिन कई बार हम उसके लिए नमक या चीनी से भरपूर चीजें बना देते हैं ताकि वह अच्छे से खा ले. लेकिन यह उसके हेल्थ के लिए हानिकारक होता है. एक साल से कम उम्र के बच्चों को बिल्कुल भी नमक-चीनी नहीं देनी चाहिए. इससे उनकी किडनी, पाचन तंत्र और दिल पर गंभीर असर पड़ सकता है.
इसलिए, एक साल तक बच्चों को सिर्फ स्तनपान कराना और फिर स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार जैसे दलिया, खिचड़ी, ओट्स वह भी बिना नमक या चीनी का देना चाहिए. एक साल के बाद धीरे-धीरे उसके डाइट में नमक शामिल किया जा सकता है. लेकिन सावधानी से और न्यूनतम मात्रा में ही नमक का खाने देना चाहिए.
किडनी पर पड़ता है असर
बच्चों की किडनी अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं. एक साल की उम्र तक बच्चों की किडनी बहुत छोटी और कमजोर होती है. अगर इस दौरान उन्हें नमक दिया जाता है तो वह उनकी किडनी पर बोझ बन सकता है. नमक से किडनी पर ज्यादा दबाव पड़ता है और उसे ज्यादा काम करना पड़ता है, बच्चों की कमजोर किडनी इस दबाव को सह नहीं कर पाती. इससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है.
हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर
जब बच्चे अधिक मात्रा में चीनी खाते हैं तो उनके शरीर में प्रोटीन ठीक से पच नहीं पाता. प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. यह हमारी हड्डियों, मांसपेशियों और त्वचा को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है. जब प्रोटीन ठीक से ना पचे तो हमारी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं.
आंखें हो सकती है कमजोर
अधिक चीनी खाने से हमारी त्वचा और रक्त वाहिकाओं का लचीलापन भी कम हो जाता है. इससे बचपन से ही बच्चों के दांत खराब हो सकते हैं या उनकी आँखें कमजोर हो जाती है. इसलिए बच्चों को बिल्कुल भी चीनी नहीं देनी चाहिए. उनके लिए गन्ने का रस या शहद ही काफी है. इसलिए 1 साल तक बच्चों को नमक या चीनी नहीं देनी चाहिए.
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