सर्दी में अक्सर लोगों का वजन बढ़ने के पीछे क्या है प्रमुख वजह, जानिए कैसे रहा जा सकता है सुरक्षित?
सर्दी का मौसम अपने साथ स्वास्थ्य चिंता की श्रृंखला लेकर आता है. ये न सिर्फ ठंड, फ्लू, जोड़ों का दर्द, स्किन और श्वसन बीमारियों को बढ़ाता है बल्कि वजन में उतार चढ़ाव का कारण भी बनता है.
आपने अनुभव किया होगा कि ठंड के मौसम में आपका सामान्य जीन्स और शर्ट तंग हो गया होगा. यहां तक कि पहले की तरह आप रोजाना गतिविधियों को जारी रखे हुए हैं, फिर भी महसूस किया होगा कि शरीर पर कुछ वजन की बढ़ोतरी हो गई है. ये सिर्फ आपका अनुमान नहीं है, बल्कि सर्दी के महीनों में ज्यादातर लोगों का वजन बढ़ जाता है.
सर्दी का मौसम अपने साथ स्वास्थ्य चिंता की श्रृंखला लेकर आता है. ये न सिर्फ ठंड, फ्लू, जोड़ों का दर्द, स्किन और श्वसन बीमारियों को बढ़ाता है बल्कि वजन में उतार चढ़ाव का कारण भी बनता है. एक रिसर्च के मुताबिक, ज्यादातर लोगों का सर्दी के दौरान तीन से पांच किलो वजन बढ़ जाता है. अतिरिक्त वजन से बचने के लिए, हमें उन कारणों को जरूर जानना चाहिए जिसकी वजह से ऐसा होता है.
शारीरिक गतिविधि की कमी ठंड का मौसम आने के साथ ही लोग घरों में ज्यादा समय बिताने लगते हैं. सर्दी में हम सभी बिस्तर में रहते हुए पसंदीदा किताब पढ़ने का आनंद उठाते हैं. इससे हमारे शरीर की गतिविधि में कमी आती है. इसके अलावा, बहुत सारे लोग अपनी सामान्य रूटीन जैसे वॉकिंग और जॉगिंग को छोड़ देते हैं. भोजन से मिलनेवाली कैलोरी आपकी जलती नहीं है, जिसका नतीजा ये निकलता है कि अंत में फैट के तौर पर इकट्ठा हो जाती है.
डिहाइड्रेशन पानी का प्रयाप्त सेवन स्वस्थ वजन को बरकरार रखने के लिए जरूरी है. गर्मी में आम तौर से हमारे साथ पानी की कमी दूर करने के लिए पानी का बोतल होता है, मगर असल चुनौती सर्दी में हाइड्रेटेड रहने की होती है. मामूली डिहाइड्रेशन भी भूख की भावना की नकल कर आपको खाने तक पहुंचा सकता है. सर्दी में रोजाना स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए 2-3 लीटर पानी पीने की कोशिश करें.
हार्मोनल समस्याएं डायबिटीज और थायरॉइड से पीड़ित लोग इस मौसम में वास्तविक चुनौती का सामना कर सकते हैं. मौसम में बदलाव के साथ हार्मोन आम तौर से बेकाबू हो जाते हैं. असंतुलित हार्मोन लोगों के लिए ज्यादा आहार खाने की वजह बन सकता है या वजन कम करने के प्रयास को रोक सकता है. इसलिए अपने हार्मोन को काबू में रखने के लिए बराबर चेक-अप कराते रहें. जरूरत के मुताबिक आपका डॉक्टर दवा में बदलाव ला सकता है.
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