कोरोना वायरस भारत में बहुत तेजी से फैल रहा है. देश की राजधानी दिल्ली में हालात बदतर हैं. मरीजों की बिगड़ती स्थिति की वजह से अस्पतालों बेड की कमी हो गई है. लोगों को ऑक्सीजन और दवाएं नहीं मिल पा रही हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जा रही है. कोरोना मरीजों का दिन में कम से कम 3-4 बार ऑक्सीजन लेवल चेक करना पड़ता है. ऐसे में जो लोग अपने घरों में आइसोलेशन में रह रहे हैं उनके लिए Pulse Oximeter सबसे जरूरी है.
 
कोरोना के वक्त में इस छोटी सी डिवाइस की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. Pulse Oximeter शरीर में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल (oxygen saturation level) को मापने का काम करता है. डॉक्टर होम आइसोलेशन के मरीजों को समय-समय पर ऑक्सीजन लेवल जांचने के बारे में पूछते हैं. Pulse Oximeter से पता चलता है कि लाल रक्त कणिकाएं (RBCs) कितना ऑक्सीजन को ट्रैवल कर रही हैं. इससे पता चल जाता है कि किसी व्यक्ति को अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत है या नहीं है.


Pulse Oximeter कैसे काम करता है
दरअसल Pulse Oximeter त्वचा पर लाइट छोड़ता है और ब्लड सेल्स के मूवमेंट और उनके रंग को डिटेक्ट करता है. ये ब्लड सेल्स के कलर के आधार पर ऑक्सीजन सैचुरेशन को मापता है. एक स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में 96 फीसदी ऑक्सीजन होना चाहिए. अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 95 फीसदी से कम जाता है तो ये खतरे की निशानी हो सकता है. अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 90 या फिर 93 फीसदी से कम होता है तो मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाने की जरूरत है.  


मार्केट में इन दिनों आपको कई ब्रांड के Pulse Oximeter मिल जाएंगे. आप डॉक्टर की सलाह पर किसी भी ब्रांड का पल्स ऑक्सीमीटर खरीद सकते हैं. आपको मार्केट में 1 हजार से लेकर 3 हजार तक की कीमत में Pulse Oximeter मिल जाएंगे.   


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