Taste Of Ghevar In Monsoon: सावन के मौसम में घेवर (Ghevar) का नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाता है. ये एक ऐसी मिठाई है जो रक्षाबंधन (Rakshavbandhan) के आसपास ही मिलनी शुरू होती है. या यूं कहें की मानसून में ही ज्यादा मिलती है. कई घरों में तो घेवर के बिना मानसून (monsoon) गुजरता नहीं और राखी के दिन भी ये मिठाई खासतौर से बुलवाई जाती है. वैसे इस मिठाई का सिर्फ स्वाद ही नहीं इसके गुण भी खास हैं. चलिए जानते हैं घेवर के मानसून में ही मिलने के कारण और इससे जुड़े फायदे.


मानसून में ही क्यों मिलता है घेवर?


घेवर एक ऐसी मिठाई है जो भरपूर घी से बनती है. मानसून के दौरान कई लोगों को वात और पित्त की शिकायत होती है. शरीर में सूखापन होना या एसिडिटी होना आम हो जाता है. जिसकी वजह से थकान और बेचैनी लगती है. ऐसे में घेवर शरीर में फैट बैलेंस करने के काम आता है. घी में तले होने की वजह से घेवर शरीर की ड्राईनेस को कम करता है. इसलिए देसी घी में बने घेवर के इस्तेमाल की ही सलाह दी जाती है. ताकि कोलेस्ट्रोल भी कंट्रोल रहे. साथ ही शुगर पेशेंट को भी नियंत्रित मात्रा में घेवर खाने की सलाह दी जाती है.


नमी भी होती है मददगार


इस मौसम में नमी भी मौजूद होती है. जो घेवर के लिए फायदेमंद होती है. दरअसल मौसम में मौजूद ये नमी घेवर को नर्म बनाकर रखती है. साथ ही इस नमी की वजह से घेवर की मिठास और रसीलापन कायम रहता है. क्योंकि घेवर मैदे से बनता है इसलिए इसके सूखने के चांजेज बहुत ज्यादा होते हैं. लेकिन मौसम की नमी इसे नर्म रखने में मददगार होती है.


इम्यूनिटी बूस्टर


घेवर को चाश्नी में डुबोने के बाद उस पर रबड़ी और ड्राई फ्रूट्स भी अच्छी खासी मात्रा में डलते हैं. जो शरीर को दूसरे रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं.


ये भी पढ़ें


मानसून में अपने पार्टनर के साथ इस तरह जताएं प्यार, स्ट्रॉन्ग होगी रिलेशनशिप


टीनऐज की यह आदत बच्चे को बना सकती है डिप्रेशन का शिकार