Relationship Tips: पार्टनर के पास्ट में कितने रिलेशन रहे, इससे आज की पीढ़ी को कोई फर्क नहीं पड़ता, जो कि एक अच्छी बात है. क्योंकि पास्ट के आधार पर किसी को जज नहीं किया जाना चाहिए. अब प्रश्न यह उठता है कि क्या हमें अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले उसे जानना नहीं चाहिए? इस प्रश्न पर हम सभी कहेंगे कि बिल्कुल जानना चाहिए. इसे जानने के क्या फायदे हैं और किन तरीकों से जाना जा सकता है, इस बारे में यहां बताया गया है.


क्योंकि जब हम किसी को जानेंगे तभी तो यह पता चलेगा कि इस व्यक्ति के साथ हमारा रिश्ता कितना चल पाएगा. क्या हमें इसके साथ अपने रिश्ते को लेकर सीरियस होना चाहिए या फिर एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ देना चाहिए! इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए जरूरत होती है पास्ट जानने की. क्योंकि आप अपने पार्टनर को तभी जान पाएंगे जब आप उसके साथ अधिक वक्त बिताने के साथ ही पास्ट में उसके साथ हुई घटनाओं को जानेंगे, उन घटनाओं के बाद उसके रिऐक्शन को जानेंगे, उसने अपने आपको कैसे उन चीजों से बाहर निकाला ये जानेंगे. पार्टनर का पास्ट उसे जज करने के लिए नहीं बल्कि उसे जानने के लिए पता होना जरूरी है. इस बारे में दिल्ली के सीनियर सायकाइट्रिस्ट और क्लीनिकल सायकोलजिस्ट ने बहुत कुछ बताया, जो हर यंगस्टर को पता होना चाहिए... 


पार्टनर का पास्ट जानना क्यों जरूरी है?



  • आप जिस व्यक्ति के साथ रिश्ते में जाने का विचार कर रहे हैं, उसे जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि पहले आप अपने रिश्ते को दोस्ती का रूप दें और अधिक से अधिक समय साथ में बिताने का प्रयास करें. इस दौरान आपको अपने पार्टनर के व्यवहार, सोच और प्लानिंग्स को समझने में मदद मिलती है.

  • साथ में शॉपिंग पर जाना, अलग-अलग सोशल मुद्दों पर बात करना और उसके क्लोज फ्रेंड्स, रिलेटिव्स के बारे में जानना, उनके साथ उसकी बॉन्डिंग इत्यादि के बारे में आपको पता होना चाहिए. यहां तक कि आपके पास उन लोगों के फोन नंबर्स भी होने चाहिए. यदि संभव हो तो आपको उसके सर्कल के साथ फ्रेंडली होना चाहिए, ऐसे में आपको अपने लिए सही गाइडेंस पानें और जरूरत होने पर सपॉर्ट मिलने की राह बनती है.


इन बातों पर करें गौर



  • किसी लड़के का अपनी बहन, कॉलीग्स और अन्य महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार, कैसी बॉन्डिंग है और उसका कैसा रवैया है, यह आपको बहुत हद तक ये समझने में मदद करता है कि असर में आपका पार्टनर महिलाओं को लेकर कैसी सोच रखता है.

  • साथ में टाइम बिताने के दौरान इस बात पर गौर करें कि आपके पार्टनर को किस बात पर गुस्सा आता है और गुस्से में उसका रिऐक्शन कैसा होता है. यानी गुस्सा आने पर वो चुप हो जाता है या फिर हाइपर होकर रिऐक्ट करता है. 

  • यदि आप अपने पार्टनर के साथ लिव-इन में जाने का विचार बना रहे हैं तो बेहतर है कि लिव-इन में जाने से पहले आप लोग साथ में कुछ ट्रिप्स पर जाएं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान आप उसके व्यवहार को अधिक गहराई से समझ सकते हैं. 


क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?



  • रिलेशनशिप में पार्टनर के पास्ट को जानना क्यों जरूरी है, इस पर बात करते हुए मैक्स हॉस्पिटल के सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार कहते हैं कि रिश्ते में सीरियस होने से पहले सामने वाले व्यक्ति के पास्ट को इग्नॉर ना करें. यदि आपके पास ऐसा फ्रेंड सर्कल है कि आप उसके बारे में जान पाएं तो अच्छी बात है, आप खुद भी उसे समझें और उससे पुराने रिश्तों के बारे में पूछें और फिर अपनी समझ के अनुसार निर्णय लें. हम यह भी नहीं कहेंगे कि सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करें क्योंकि यह रिश्ता बहुत संवेदनशील होता है लेकिन अपने आपको पूरा समय दें. जब आपको विश्वास हो जाए कि आप आगे बढ़ सकते हैं, तभी कदम बढ़ाएं.

  •  डॉक्टर कुमार आगे कहते हैं कि रिलेशनशिप में मेंटल, इमोशनल और फिजिकल टॉर्चर की घटनाएं सामने आना बहुत हैरान करने वाला नहीं होता है. लेकिन श्रद्धा मर्डर केस से सीख लेते हुए सइकोपैथ, सोशियोपैथ और नार्सिस्टिक विहेवियर वाले लोगों से अतिरिक्त सावधानी बरतें. कुछ खास लक्षणों के जरिए आप ऐसे लोगों की पहचान कर सकते हैं...

  • साइकोपैथ लोगों के चाइल्डहुड में रेड फ्लैग्स जरूर मिलते हैं. यानी ये नॉर्मल बच्चों से कुछ अलग तरह का लेकिन तकलीफ देने वाला व्यहवार करते हैं. जैसे, स्कूल में बच्चों को सताना, परिवार के साथ दुर्व्यवहार करना.

  • इन लोगों में इमोशन तो होते हैं लेकिन ये इमोशन डिस्ट्रक्टिव-वे में होते हैं. इसलिए इन्हें दूसरों को तकलीफ देकर खुशी मिलती है. क्योंकि जब ये दूसरों को दर्द देते हैं या देखते हैं कि दूसरा व्यक्ति इनके कारण परेशान हो रहा है तो तकलीफ देकर इनका डोपामिन बढ़ता है. यानी वो हॉर्मोन जो खुशी से संबंधित होता है. इसलिए ये दूसरों को दर्द देते हैं. 

  • लड़ाई झगड़ा करना, मारपीट करना , तुनक मिजाजी, हमेशा खुद को प्रायॉरिटी देना, पार्टनर के साथ गलत व्यवहार करना और जब पार्टनर छोड़कर जाने की बात करे तो रोना-धोना, गलती मान लेना, मरने की धमकी देना इत्यादि नाटक करते हैं. जब पार्टनर इनकी बातों में आ जाती है/ आ जाता है तो ये कुछ दिन ट्रैक पर रहते हैं और फिर इनका यही बुरा व्यवहार शुरू हो जाता है.

  • ये लोग अक्सर जान देने की धमकी देते हैं या खुद को हार्म पहुंचाने की धमकी देते हैं, जैसे नस काट लेंगे इत्यादि लेकिन ऐसी बातें सिर्फ पार्टनर को डराने के लिए होती हैं. क्योंकि आमतौर पर इनके अंदर पार्टनर से कोई इमोशनल जुड़ाव नहीं होता है बल्कि ये ऐसे इमोशनल पार्टनर की तलाश में होते हैं, जिसे अपने हिसाब से चला सकें, उसे टॉर्चर कर सकें. 

  • इन लोगों में इमोशनल कनेक्टिविटी और इंपेथी लेवल का अभाव होता है. यानी ये जो दर्द अपने पार्टनर को दे रहे होते हैं, उस दर्द का इन्हें खुद को अहसास तक नहीं होता है.


अच्छे प्रजेंट के लिए पास्ट की जानकारी है जरूरी


सीनियर क्लिनिकल साइकोलजिस्ट डॉक्टर गवनीत कौर परुथी का कहना है कि अपने पार्टनर के प्रजेंट को समझने और अपने रिश्ते को बेहतर बनाने में भी आप उसके पास्ट से बहुत कुछ सीख सकते हैं. यदि आपका पार्टनर अपने पास्ट के बारे में बात करने में कंफर्टेबल है तो ठीक है आप उससे इस बारे में बात करें. लेकिन उसकी सहजता का ध्यान रखें. साथ ही यदि वह उस बारे में बात करने में सहज नहीं है या फिर इंट्रस्ट नहीं दिखाता है तो आप उसके साथ किसी ट्रिप पर जाएं, आउटिंग पर जाएं और उसके व्यवहार को जानें. ये सब तरीके किसी भी व्यक्ति को अच्छी तरह समझने में बहुत हेल्पफुल होते हैं. जब आपको लगे कि आप इस व्यक्ति के साथ अपनी आगे की लाइफ प्लान कर सकते हैं. तभी आगे बढ़ें. प्यार के रिश्ते में भी गंभीर निर्णय लेते समय प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाना जरूरी होता है. ताकि आप भविष्य में किसी मुसीबत में ना फंसे.


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