कोटा में क्यों स्टूडेंट सुसाइड कर रहे हैं? अपने बच्चे को ये कदम उठाने से कैसे बचाएं
कोटा में स्टूडेंट्स के बीच सुसाइड की घटनाओं में वृद्धि की खबरें चिंताजनक हैं. अपने बच्चे को इससे बचाने के लिए पैरेंट्स कुछ टिप्स अपना सकते हैं. आइए जानते हैं यहां..
कोटा, जो भारत में एक प्रमुख शैक्षिक हब के रूप में उभरा है, अब एक गंभीर सामाजिक मुद्दे का केंद्र बन गया है - छात्र सुसाइड. यह शहर, जो अपने कठिन और प्रतिस्पर्धी कोचिंग संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है, हर साल लाखों छात्रों को आकर्षित करता है, जो विभिन्न प्रतिष्ठित परीक्षाओं जैसे IIT-JEE और NEET की तैयारी करते हैं. वहां हाल के वर्षों में छात्र सुसाइड की घटनाएं एक चिंताजनक विषय बन गई हैं. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे अधिक प्रतिस्पर्धा, अकेलापन, घर से दूरी, और परीक्षा का दबाव. ऐसे में, माता-पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है. हालांकि, इस शैक्षिक दबाव और उच्च अपेक्षाओं के बीच, कई छात्र अधिक तनाव और चिंता का अनुभव करते हैं, जो कभी-कभी उन्हें आत्महत्या की ओर धकेल देता है. आइए जानते हैं इससे अपने बच्चों को कैसे बचाएं..
खुला संवाद
अपने बच्चे के साथ नियमित और खुला संवाद बनाए रखें. उन्हें अपनी चिंताओं, दबावों और भावनाओं को साझा करने का मौका दें. बच्चों की मानसिक स्थिति और भावनात्मक अवस्था को समझने के लिए माता-पिता को उनके साथ नियमित रूप से खुला और सकारात्मक बातचीत बनाए रखना चाहिए. कई बार बच्चे अपनी समस्याओं या नकारात्मक भावनाओं को साझा नहीं कर पाते, जिससे वे अकेलेपन और तनाव का शिकार हो जाते हैं.
अपेक्षाओं को संतुलित करें
बच्चों पर अनुचित या अधिक अकादमिक दबाव न डालें.उनकी क्षमता और रुचि को समझें और उसी के अनुसार उनका मार्गदर्शन करें. अधिकांश माता-पिता अपनी इच्छाओं को पूरा करने या समाज में प्रतिष्ठा अर्जित करने के लिए बच्चों पर भारी भरकम शैक्षणिक लक्ष्य थोप देते हैं.लेकिन यह बच्चों की क्षमता से अधिक होता है जिससे वे तनाव और अवसाद का शिकार हो सकते हैं.
भावनात्मक समर्थन
उन्हें यह अहसास दिलाएं कि आप उनके साथ हैं, चाहे कोई भी परिणाम हो. उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि उनकी कीमत उनके प्रदर्शन से नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व से है.
तनाव प्रबंधन
माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को तनाव से निपटने के तरीके सिखाएं. योग, ध्यान और शौक जैसी गतिविधियां बच्चों को मानसिक शांति प्रदान करती हैं और तनाव कम करने में मदद करती हैं.
स्वास्थ्य पर ध्यान दें
उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें. उचित आहार, नींद और व्यायाम की आवश्यकता पर जोर दें. उनके किसी भी शारीरिक या मानसिक समस्या पर तुरंत ध्यान दें.
मनोवैज्ञानिक का सहायता
यदि आवश्यक हो, तो मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की सहायता लें. इस बात को इग्नोर न करें. कई बार बच्चे अपनी बात माता-पिता से नहीं कह पाते. लेकिन मनोचिकित्सक या काउंसलर के सामने वो खुलकर अपनी सारी समस्याएं बता देते हैं. ऐसे में एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की सलाह बहुत काम आ सकती है और बच्चे को उसकी समस्या से निजात दिलाने में मददगार हो सकती है.
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