बिना यूटरस के पैदा महिला ने चमत्कारिक ढंग से एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है. महिला यूटरस ट्रांस्पलांट के बाद इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक की मदद से मां बनने का सुख पाने में सफल हुई.


बिना यूटरस के जन्मी महिला बनी मां


अमानडा ग्रुनेल 16 साल की थी जब उसके शरीर में कुछ असामान्य गड़बड़ी का अंदाजा हुआ. दरअसल, उसे पीरियड्स नहीं आ रहे थे. एक साल बाद डॉक्टरों ने बताया कि यूटरस नहीं होने के चलते वो ममता का सुख प्राप्त नहीं कर सकती. उसने बताया, “जब मैं 16 साल की थी, तो मुझे असाधारण स्थिति का पता चला. मुझे पीरियड्स नहीं आ रहे थे. जब 17 साल की हुई तो पाया कि मेरा यूटरस नहीं है. मुझे याद है डॉक्टर का ये कहना कि मैं कभी मां नहीं बन पाऊंगी और इसका विकल्प यूटरस ट्रांसप्लांट हो सकता है, ये अद्भुत था.”


यूटरस ट्रांस्पलांट के बाद IVF बना सहारा


32 साल की उम्र में उसका तलाक होने के बाद उसने मां बनने का विकल्प तलाशना शुरू किया. इसी क्रम में एक दोस्त ने गर्भाशय ट्रांसप्लांट सर्जरी कराने की राय दी. उसे लगा कि उसकी दुनिया बदल सकती है. आपको बता दें कि गर्भाशय ट्रांसप्लांट सर्जरी का उद्देश्य माहवारी की समस्या दूर करना नहीं बल्कि महिला को जन्म के योग्य बनाना होता है. इस प्रक्रिया को पूरा कराने में उसके दोस्तों, मंगेतर और परिजनों ने हौसला बढ़ाया. ठीक उसी वक्त उसे एक और झटका लगा. डॉक्टरों ने बताया कि उसकी मां को ओवेरियन यानी यूटरस कैंसर है.


अमानडा बताती है कि उसकी मां ने अपने सपने के बारे में उसे बताया था, ”मेरी मुलाकात तुम्हारी बेटी से हुई. उसका नाम ग्रेस है, और बच्ची बिल्कुल तुम्हारी शक्ल-सूरत जैसी दिखाई देती है.” उसने एक डोनर से यूटरस हासिल किया और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट के जरिए प्रेगनेन्ट होने में सक्षम हुई. इस साल मार्च के महीने में उसने एक स्वस्थ लड़की को जन्म दिया. बच्ची का नाम मां की इच्छा के मुताबिक ग्रेस रखा गया है. जन्म के वक्त उसका वजन 6 पाउंड और 11 औंस था.


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