Women Equality Day 2022: दुनिया के कई देशों से बेहतर है भारत में महिलाओं की स्थिति, महिलाओं को मिले हैं ये अधिकार
Women's Rights In India: भारत में राजनीति से लेकर पैतृक संपत्ति में हिस्सा लेने तक, ऐसे कई अधिकार महिलाओं को मिले हैं, जो उन्हें सशक्त बनाते हैं.
Legal Rights Of Women: दुनियाभर में महिला को समानता का अधिकार दिलाने के लिए हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस यानि जेंडर इक्वेलिटी डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन नारी सशक्तिकरण को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाई जाती है. महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है. भले ही वुमेन इक्वेलिटी डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई हो, लेकिन अब अमेरिका से लेकर भारत में महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर है. खासतौर से अगर बात करें भारत की तो यहां महिलाओं को शिक्षा, काम करने और सेना में भर्ती होने तक कई क्षेत्रों में समानता का अधिकार मिला हुआ है. आइये जानते हैं भारत में महिलाओं को वो कौन से अधिकार मिले हैं जो उन्हें सशक्त बनाते हैं.
भारत में महिलाओं के अधिकार
1- प्लांटेशन लेबर एक्ट: 1951 के प्लांटेशन लेबर एक्ट के तहत अगर किसी महिला कर्मचारी की तबियत खराब है या वो मातृत्व की स्थिति में है तो कंपनी के मालिक को उसे छुट्टी देनी होगी. इस एक्ट के तहत कंपनी को महिलाओं के लिए बेहतर वर्क प्लेस और माहौल देने की जिम्मेदारी दी गई है.
2- स्पेशल मैरिज एक्ट: भारत में साल 1954 में स्पेशल मैरिज एक्ट लागू किया गया था. इस एक्ट के पास होने के बाद से किसी भी धर्म के व्यक्ति को किसी दूसरे धर्म में शादी करने का अधिकार प्राप्त है.
3- मातृत्व लाभ कानून: कामकाजी महिलाओं के लिए ये एक्ट काफी लाभदायक है. 1961 में लागू किए गए इस कानून के तहत किसी भी महिला के मां बनने की स्थिति में अब 6 महीने की छुट्टी मिलती है. इस दौरान कंपनी महिला कर्मचारी को वेतन देती है और उसकी नौकरी जारी रहेगी.
4- दहेज विरोधी कानून: महिलाओं की जिंदगी में दहेज कानून के बाद बहुत बदलाव आए है. दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के तहत दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध की श्रेणी में आते हैं.
5- गर्भपात कानून: 1971 के बाद से किसी भी कारण से महिला का गर्भपात कराना कानूनी जुर्म माना गया है. अप्रैल 1972 में इसमें कानून में कुछ बदलाव किए गए और इसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1972 के नाम से लागू किया गया.
6- घरेलू हिंसा: भारत में महिलाओं को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार है.
7- संपत्ति का अधिकार- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नया नियम ये है किसी पिता की या फिर पुस्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का समानता का अधिकार है.
8- समान वेतन का अधिकार- महिलाओं को समान वेतन का अधिकार मिलता है. यहां लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है. अगर ऐसा हो रहा है तो इसकी शिकायत कर सकते हैं.
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