Women Legal Rights in India : शादी एक ऐसा रिश्ता होता है, जो दो लोगों को ही नहीं बल्कि दो परिवारों को आपस में जोड़कर रखता है. इस बंधन को निभाने में जितनी जिम्मेदारी पत्नी की होती है, उतनी ही पति की भी होती है. लोग इस रिश्ते को मरते दम तक पूरी शिद्दत से निभाते हैं. एक-दूसरे का साथ, इज्जत और प्रेम जीवन के इस सफर को खूबसूरत बना देता है. हालांकि, कई बार ऐसा नहीं होता है. हमारे सामने ऐसे कई मामले आते हैं, जिनमें महिलाएं रिश्ते को बचाने के लिए अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों को सालों-साल सहती रहती हैं. कभी लोक-लाज और समाज के डर से तो कभी खुद के अधिकारों की जानकारी ना होने की वजह से महिलाओं का उत्पीड़न भी होता है. आइए जानते हैं कि शादीशुदा महिलाओं के अधिकार क्या होते हैं.

  


दहेज और उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार 
आपने अक्सर ऐसे मामले सुने होंगे, जिसमें दहेज के चलते महिलाओं को काफी कुछ सहना पड़ता है. आपको बता दें कि हमारे देश में महिलाओं को Dowry Prohibition Act 1961 के तहत ये अधिकार दिया गया है कि अगर उसके पैतृक परिवार या ससुरालवालों के बीच किसी भी तरह के दहेज का लेन-देन होता है, तो वह इसकी शिकायत कर सकती हैं. वहीं, IPC (Indian Penal Code, 1860) की धारा 304B (दहेज हत्या) और 498A (दहेज के लिए प्रताड़ना) के तहत दहेज के लेन-देन और इससे जुड़े उत्पीड़न को गैर-कानूनी और अपराध बताया गया है. 


घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
महिलाओं की सुरक्षा के लिए Domestic violence Act 2005 बनाया गया था. इसके तहत एक महिला को यह अधिकार दिया गया है, कि अगर उसके साथ पति या उसके ससुराल वाले शारीरिक, मानसिक, इमोशनल, सैक्शुअल या फाइनेंशियल तरीके से अत्याचार करते हैं या शोषण करते हैं, तो पीड़िता उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है.  


संपत्ति का अधिकार 
ज्यादातर महिलाओं या लड़कियों को इस बात की जानकारी नहीं है कि शादी के बाद भी वो अपने माता-पिता की संपत्ति में हकदार होती हैं. साल 2005 में The Hindu Succession Act, 1956 में संशोधन किया गया. इसके तहत एक बेटी चाहे वह शादीशुदा हो या ना हो, अपने पिता की संपत्ति को पाने का बराबरी का हक रखती है. 


अबॉर्शन का अधिकार
किसी भी महिला के पास अबॉर्शन का अधिकार होता है यानी वह चाहे तो अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को अबॉर्ट कर सकती है. इसके लिए उसे अपने पति या ससुरालवालों के सहमति की जरूरत नहीं है. The Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 के तहत ये अधिकार दिया गया है कि एक महिला अपनी प्रेग्नेंसी को किसी भी समय खत्म कर सकती है. हालांकि, इसके लिए प्रेग्नेंसी 24 सप्ताह से कम होनी चाहिए. लेकिन स्पेशल केसेज़ में एक महिला अपने प्रेग्नेंसी को 24 हफ्ते के बाद भी अबॉर्ट करा सकती है.


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