(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
World Brain Tumour Day 2021: ब्रेन ट्यूमर के लिए समय पर इलाज का क्या है महत्व? समझिए
World Brain Tumour Day 2021: विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस हर साल 8 जून को मनाया जाता है. इसका मकसद इस स्थिति के बारे में लोगों को जागरुक करना है. आपको जानना चाहिए ब्रेन ट्यूमर के लिए समय पर इलाज का क्या है महत्व.
ब्रेन ट्यूमर एक स्थिति है जिसमें बहुत देर किए बिना तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. इलाज में देरी से स्थिति की पेचीदगी बढ़ सकती है और कुछ मामलों में घातक भी हो सकती है. वर्तमान महामारी के दौरान ब्रेन ट्यूमर और उसके इलाज पर कोविड-19 का प्रभाव चिंता का विषय बन गया है. लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या कोरोना वायरस ब्रेन ट्यूमर वाले मरीजों को प्रभावित कर सकता है जैसा कि डायिबटीज और क्या वर्तमान समय इलाज कराने के लिए सुरक्षित है.
क्या कोविड-19 ब्रेन ट्यूमर को प्रभावित कर सकता है?
अब तक, निष्कर्ष निकालने के लिए प्रयाप्त रिसर्च नहीं हुए हैं कि क्या कोविड-19 ब्रेन ट्यूमर को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, इसके सबूत मिले हैं कि ब्रेन ट्यूमर के इलाज से संबंधित फैसला महामारी से प्रभावित हो सकता है क्योंकि मरीज अस्पताल में रहते वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. हालांकि, अन्य कैंसर के विपरीत, ब्रेन ट्यूमर दूसरे अंगों तक नहीं फैलता है.
महामारी में इलाज को कौन टाल सकता है और कब तक?
ये मरीज की स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है कि क्या ब्रेन ट्यूमर के इलाज में देरी की जा सकती है या नहीं. अगर स्थिति नाजुक है, तो मरीज को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए फौरन ध्यान देने की जरूरत है. कुछ ट्यूमर न्यूरोलॉजिकल पेचीदगी के लिए खतरा नहीं है, लेकिन कोविड-19 के कारण इलाज में देरी से अन्य पेचीदगी हो सकती है. लेकिन, अगर स्थिति सामान्य है, तो इलाज सुरक्षित होने पर कराया जा सकता है. ये डॉक्टर के फैसले पर है कि क्या इलाज की तत्काल जरूरत है या टाला जा सकता है. संक्षेप में, जिंदगी के लिए खतरा बन चुका ब्रेन ट्यूमर इंतजार नहीं कर सकता. ऐसे मरीजों के लिए, समय पर इलाज का इंतजाम शेड्यूल के मुताबिक किए जाने की जरूरत है.
कीमोथेरेपी और इम्यूनिटी की चिंता
कीमोथेरेपी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा सकती है. इस तरह, कैंसर रोगियों को कोविड-19 से पेचीदगियों का ज्यादा खतरा होता है. वर्तमान में, कैंसर मरीजों के लिए कीमोथेरेपी रोकने या तब्दीली का समर्थन करने के सबूत नहीं हैं. नतीजे के तौर पर, कैंसर रोधी या इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी को रोकना प्रयोग करने का विकल्प नहीं है. रेडिएशन में उसी वक्त देरी की जा सकती है जब ट्यूमर बढ़ने का जोखिम कम से कम हो. हालांकि, जब रेडिएशन शुरू हो जाए, तो उसे तय अवधि के अंदर पूरा करना अच्छा है क्योंकि किसी तरह की देरी प्रक्रिया को बेअसर कर सकती है.
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