World Organ Donation Day 2021: जानिए इस दिन का इतिहास, महत्व और कौन हो सकता है डोनर
World Organ Donation Day 2021: विश्व अंगदान दिवस हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है. इसका मकसद अंगदान का महत्व लोगों को बताना होता है. किसी को अंग देने का आपका फैसला दूसरे को नई जिंदगी दे सकता है.
अंगदान से संबंधित मिथकों को हल करने और अंगदान के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है. ये दिन लोगों को मौत के बाद किसी दूसरे की जिंदगी बचाने की खातिर अपने स्वस्थ अंगों को दान करने के लिए प्रोत्साहित करने का होता है. अंगों जैसे किडनी, दिल, आंख, लंग्स को दान करने से लंबे समय की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को जिंदगी बचाने में मदद मिल सकती है.
स्वस्थ अंगों के अभाव में कई लोगों की जिंदगी चली जाती है जिसे बचाया जा सकता है. इस दिन का मकसद लोगों को स्वेच्छा से अपने अंगों को दान करने का एहसास कराना होता है जो बहुत लोगों की जिंदगी बदल सकती है. ब्रेन डेड घोषित शख्स का अंग दान किया जा सकता है.
भारत का अपना अंगदान दिवस है जिसे हर साल 27 नवंबर को मनाया जाता है. इस मौके पर सरकार नागरिकों को स्वेच्छा से अपने अंगों को दान करने और लोगों की जिंदगी बचाने का आह्वान करती है.
अंग डोनेशन की कब हुई शुरुआत?
आधुनिक चिकित्सा ने एक शख्स से दूसरे शख्स में अंगों को प्रत्यारोपित करना संभव बना दिया है. पहली बार सफल अंग प्रत्यारोपण अमेरिका में 1954 में किया गया था. डॉक्टर जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी और मेडिसिन में जुड़वां भाइयों रोनाल्ड और रिचर्ड हेरिक के बीच सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण करने पर 1990 में नोबल पुरस्कार मिला.
स्वेच्छा से कौन अंग डोनर हो सकता है?
अपने अंगों को डोनेट करना किसी को नई जिंदगी देना होता है. उम्र, धर्म और जात के बावजूद स्वेच्छा से कोई भी अंग डोनर बन सकता है. लेकिन जरूरी है कि अंगदाता का पुरानी बीमारियों जैसे कैंसर, एचआईवी या दिल और लंग की बीमारी से पीड़ित न हो. स्वस्थ डोनर का बहुत ज्यादा महत्व है और 18 साल की उम्र होने पर आप डोनर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
अंगदान कितने प्रकार के होते हैं?
1. जीवित अंगदान: जीवित दान डोनर के साथ किए जाते हैं जो जीवित होते हैं और अंगों जैसे एक किडनी या लिवर का एक हिस्सा को डोनेट कर सकते हैं. इंसान एक किडनी के साथ रह सकता है और लिवर ही सिर्फ ऐसा अंग शरीर में होता है जो खुद को फिर से पैदा करने के लिए जाना जाता है.
2. मृतक का अंगदान: अंगदान की दूसरी शक्ल शव दान कहलाता है. इस प्रक्रिया में डोनर की मौत के बाद उसके स्वस्थ अंगों को किसी जीवित शख्स में प्रत्यारोपित किए जाते हैं.
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