World Population Day 2022: बुलेट ट्रेन की रफ्तार से बढ़ रही है दुनिया की आबादी! जानें पहले क्यों मनाते थे जनसंख्या दिवस का जश्न?
World Population: साल 2021 में विश्व जनसंख्या दिवस की थीम 'कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव' रखी गई थी. क्योंकि कोरोना के बाद जनसंख्या दर अचानक से बढ़ी. इस बार की थीम चिंताओं से भरी है.
World Populating Day Celebration: दुनियाभर में 11 जुलाई को हर साल विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जाता है. इस साल दुनिया की जनसंख्या 8 बिलियन तक पहुंच गई है. ऐसे में जागरूक लोग अपने बच्चों के भविष्य और आने वाली पीढ़ी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि किसी समय में जनसंख्या बढ़ना (Increasing population) खुशी की बात हुआ करती थी.
खुशी का यह विचार परिवार-कुटुंब-गांव से बढ़कर दुनिया के स्तर पर भी छाया रहता था. ऐसा कई कारणों से था. ये क्या कारण रहे और अब जनसंख्या चिंता का विषय क्यों है, इस बारे में यहां बताया जा रहा है.
जनसंख्या वृद्धि क्यों देती थी खुशी?
जिस तरह अभी कोरोना (Covid-19) फैला और इसने लाखों लोगों की जान ले ली, पुराने समय में इस तरह से संक्रामक रोगों (infectious disease) का फैलना आम बात हुआ करती थी. इन रोगों में मौसमी बीमारियों के साथ ही हैजा, मलेरिया, चिकनगुनिया, प्लेग और फ्लू जैसे रोग और स्पेनिश फ्लू जैसे संक्रामक रोग (contagious disease) भी शामिल होते थे. जिनमें हजारों, लाखों लोग हर साल मौत की नींद सो जाते थे. हालांकि ये रोग किसी राज्य, देश या महाद्वीप में ही अपना कहर बरपाते थे और कोरोना की तरह पूरी दुनिया को एक साथ प्रभावित नहीं कर पाते थे. इसका एक बड़ा कारण है कि उस समय में दुनिया के सभी देशों की यात्रा आम नागरिकों के लिए इतनी आसान नहीं थी. ऐसे में जब लंबे समय तक कोई ऐसी महामारी नहीं आती थी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली जाए, उस समय जनसंख्या स्वस्थ तरीके से विकास कर पाती थी और लोग इस बात की खुशी मनाते थे.
एक दंपति की 10 संतानें
आज से 60-70 साल पहले तक एक कपल के 10 से 12 बच्चे होना आम बात होती थी. ऐसा इसलिए भी था क्योंकि उस समय खेती के लिए जमीन बहुत थी. रोजगार के विकल्प भले ही सीमित थे लेकिन काम सभी को मिल जाया करता था. ऐसे में लोगों को लगता था कि परिवार में जितने लोग होंगे उतनी कमाई बढ़ेगी. इसलिए लोग परिवार और समाज के स्तर पर भी संख्या वृद्धि की खुशी मनाते थे.
अब क्यों है चिंता?
जनसंख्या वृद्धि पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा 1989 में सबसे पहले चिंता व्यक्त की गई थी. क्योंकि उस समय दुनिया की आबादी 5 बिलियन हो गई थी. इसके बाद 11 जुलाई 1990 से हर साल विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाने लगा ताकि इसके माध्यम से लोगों को बढ़ती जनसंख्या के प्रति जागरूक किया जा सके. अब सवाल यह है कि बढ़ती जनसंख्या समस्या क्यों है? तो समस्या इसलिए है कि जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ पृथ्वी का आकार नहीं बढ़ रहा है! रहने की जगह सीमित है, खाने के लिए अनाज सीमित है और जीवन यापन के लिए सभी संसाधन सीमित हैं. जब जीवन यापन के लिए सभी जरूरी चीजों में वृद्धि का प्रयास किया जाता है तो प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है. धरती का, नदियों का, पहाड़ों और पेड़ों का दोहन तेजी से होता है. और यह सब मानव जीवन के साथ ही पूरी दुनिया के अस्तित्व को खतरे में डालने जैसे काम हैं.
जनसंख्या दिवस की थीम
इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस की थीम है '8 अरब लोगों की दुनिया: सभी के लिए लचीला भविष्य, अवसर, अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना'. थीम से साफ पता चलता है कि बढ़ती जनसंख्या से यूनाइटेड नेशन चिंतित है और दुनियाभर के लोगों को आबादी के खतरे से आगाह कराना चाहता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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