योग से करें जानलेवा बीमारी अस्थमा का इलाज, जानें प्राणायाम करने का सही तरीका
योग अस्थमा वाले लोगों को सांस नियंत्रित करने और तनाव कम करने में मदद कर सकता है. अस्थमा के हमले के दौरान मांसपेशियां बहुत सख्त हो जाती है. उसके कारणों में बढ़ता प्रदूषण और लाइफस्टाइल प्रमुख हैं.
अगर आपको अस्थमा है, तो आप अकेले नहीं हैं. दुनिया भर में लाखों लोगों को पुरानी सूजन की मुसीबत है. आम तौर पर, अस्थमा के इलाज में दवा शामिल होती है. लेकिन कुछ लोगों का कहना है योग भी अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है. अस्थमा का मानक थेरेपी न होते हुए भी संभव है नियमित, साधारण अभ्यास राहत दे सकते हैं.
योग सांस और शरीर के जागरुकता को बढ़ाने में मदद कर सकता है, श्वसन दर को धीमा कर सकता है और शांति को बढ़ावा दे सकता है और तनाव कम कर सकता है- ये सभी अस्थमा वाले लोगों के लिए मुफीद है. उसके अलावा, योग आपके लक्षणों को सुधारता है, आम तौर से ऐसा करने में कोई नुकसान नहीं होता. अस्थमा के कारणों में बढ़ता प्रदूषण और बदलती लाइफस्टाइल प्रमुख हैं और बाहरी कारकों में एलर्जी और टॉक्सिन्स है.
भस्त्रिका प्राणायाम- ये अस्थमा रोगियों के लिए समाधान और सुरक्षा भी है . इस विधि में सांस को धीरे-धीरे लिया जाता है और छोड़ा जाता है क्योंकि मरीज के श्वसन तंत्र पर प्रभाव पड़ा होता है. इसलिए गहरी सांस नहीं ला पाएंगे. सांस की गति सामान्य रखें और जोर से प्राणायाम न करें, क्योंकि ऐसा करने से फेफड़े की संवेदनशील कोशिकाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इनहेलर पर आश्रित को प्राणायाम और भी धीमी गति से करना चाहिए. भस्त्रिका प्राणायाम से प्राण शक्ति में वृद्धि होती है. शुरुआत में एक मिनट तक प्राणायाम करें और अंत में 5 मिनट तक समय बढ़ा दें.
सुखासन्न- हाथों को एक मुद्रा में रखें, सांस को गहरा लंबा लें और छोड़ें. सांस की गति सामान्य रखें. ये राहत की दूसरी मुद्रा है और उसका फोकस सांस और तनाव नियंत्रण पर अस्थमा रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद व्यायाम उसे बनाता है.
कपालभाति प्राणायाम- माथे पर कफ जमा होने से छींक आती है. कपालभाति का प्राणायाम करने से कफ बाहर निकलता है. एक सेकंड में एक बार और मध्यम गति से करें.
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