एक ऑस्ट्रेलियन न्यूट्रिशनिस्ट ने खुलासा किया है कि नाखुनों में बदलाव छिपे हुए स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकते हैं. फिओना टक ने कहा कि नाखून आम तौर पर शरीर की अंदरुनी गतिविधियों की परछाई होता है जिसे जाहिर होने में हफ्तों या महीनों लग सकते हैं.


उन्होंने बताया, "नाखून का स्वास्थ्य खास पोषक तत्वों जैसे आयरन या जिंक की कमी उजागर कर सकता है. इससे पता चल जाता है कि शरीर को ज्यादा समस्या आनेवाली है या किसी बाहरी तत्वों ने नाखून को नुकसान पहुंचाया है. इसलिए सभी आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए नाखुनों पर नजर डालना जरूरी हो जाता है."


सफेद दाग या लकीर
अगर नाखूनों पर सफेद दाग या लकीर निकल आए हैं तो ये आम तौर से जिंक या कैल्शियम की कमी का संकेत होता है. जिंक या कैल्शियम वाले फूड के सेवन से इसकी आसानी से पूर्ति की जा सकती है. कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए फिओना ने सुझाव दिया कि ज्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स और हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से जिंक का लेवल बढ़ सकता है. इसके अलावा पोल्ट्री या रेड मीट को भी इस्तेमाल किया जा सकता है.


पीला या ब्लू नीला नाखून
आस्ट्रेलियाई न्यूट्रिशन्स के मुताबिक, स्वस्थ नाखून हमेशा रंग में स्वाभाविक रूप से गुलाबी होते हैं. लेकिन पीला या हल्का नीला नाखून होने पर शरीर में कम ब्लड सर्कुलेशन हो सकता है. इसका मलब हुआ कि आपके शरीर में आयरन की कम है. इसका फैसला ब्लड टेस्ट हो सकता है. उनका कहना है कि एक बार कमी को सुधार कर लिया जाए तो नाखून की विकृति बदल जाएगी. अगर किसी का खराब ब्लड सर्कुलेशन है तो व्यायाम के जरिए सर्कुलेशन को बढ़ाया जा सकता है.


बाहरी कारण
डॉक्टर को दिखाने से पहले समझना जरूरी है कि कहीं नाखूनों का विकास बाहरी कारणों से तो नहीं प्रभावित हुआ है. बाहरी कारणों से नाखून के प्रभावित होने में अक्सर नकली नाखून शामिल होता है. फिओना का कहना है कि ज्यादा हाथ धोने से नाखून सूखा भी हो सकता है. इसलिए बेहतर है हैंड सैनेटाइजर या मॉस्चेुराइजर का बहुत ज्यादा इस्तेमाल न किया जाए.


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