अगर आपने वेब सीरीज अपहरण का सीजन वन (2018) देखा होगा तो किडनैपिंग एक्सपर्ट पुलिस रुद्र श्रीवास्तव (अरुणोदय सिंह) को नहीं भूले होंगे. इसी सीरीज का सीजन टू ओटीटी प्लेटफॉर्म वूट सेलेक्ट पर आया है और पहले वाले ही अंदाज में फिल्मी, मसालेदार और हर तरह के एक्शन से भरपूर है. निश्चित ही बहुत सारे लोगों को अपशब्दों से भरे कंटेंट पर आपत्ति होती है परंतु एकता कपूर की पहचान अब ऐसे ही शो बनाने के लिए है. उनकी तमाम ऐसी न देख पाने लायक एडल्ट फिल्मों-वेबसीरीजों में कुछ आकर्षक-मनोरंजक भी बन जाता है. अपहरण उन्हीं में से एक है. अगर आप बहुत शुचितावादी नहीं हैं और अपशब्दों पर यह कहते हुए नहीं सकुचा जाते कि, ‘ए जी गाली दे रहा है वो’ तो आप अपहरण के नए सीजन का आनंद ले सकते हैं. कुल जमा यह कहानी हर तरह से वयस्क हो चुके दर्शकों के लिए है.

रुद्र की जिंदगी नए सीजन में आगे बढ़ती है और उत्तराखंड पुलिस के इस सीनियर इंस्पेक्टर को रॉ अपने एक मिशन के लिए चाहती है. केवल रुद्र ही है, जो यूरोप में बैठे भारत के दुश्मन बिक्रम बहादुर शाह उर्फ बीबीएस को पकड़ सकता है. बीबीएस अब तक रॉ के नौ काबिल अफसरों को मौत के घाट उतार चुका है और किसी तरह हाथ नहीं आ रहा है. वह भारत में कुछ और बड़ा करने की भी योजना बना रहा है. इधर, रुद्र की समस्या है, उसकी नई-नवेली पत्नी रंजना (निधि सिंह) जो हमेशा अपराधियों के पीछे पड़े पति के समय न दे पाने के कारण ड्रग्स की शिकार हो चुकी है और उसकी जान संकट में हैं. अब रुद्र के सामने असमंजस है कि वह रॉ की मदद करके देश के दुश्मन को पकड़ने जाए या पत्नी की जान बचाए. हालात उसे मिशन पर जाने को मजबूर करते हैं लेकिन पराए देश में रुद्र पाता है कि वह किसी गहरे जाल में फंस गया है. बात बीबीएस को पकड़ने से ज्यादा बड़ी और पेचीदा है. इतनी पेचीदा कि दिमाग चकरघिन्नी हो जाए.
अपहरण 2 में रोमांच और रफ्तार दोनों है. यहां औसतन 22-23 मिनिट की 11 कड़ियां हैं और इन्हें देश-विदेश में खूबसूरती से शूट किया गया है. कहानी पूरी तरह से अरुणोदय सिंह के चारों तरफ घूमती है और यह उनके अब तक के करियर में याद रखे जाने जैसा रोल है. उन्होंने रुद्र की भूमिका को पूरे आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ निभाया है. उनके अभिनय का दमखम यहां साफ देखा जा सकता है. वह किरदार में घुले-मिले नजर आते हैं. निधि सिंह के साथ उनकी केमेस्ट्री नजर आती हैं और दोनों एक-दूसरे के साथ सहज हैं. सानंद वर्मा इस कहानी में ‘केवल वयस्कों के लिए’ वाला हिस्सा पूरी मजबूती से थामे हुए हैं और अपने रोल में दर्शकों की दिलचस्पी बनाए रखते हैं. यहां यूट्यूब-इंस्टा-टिक टॉक पर टीचर बनकर जमाने भर की क्लास लेते हुए प्रसिद्ध हुईं स्नेहिल दीक्षित मेहरा भी बिंदास अंदाज में नजर आती हैं. सुखमणि सदाना नेगेटिव रोल में हैं और उन्होंने अपने किरदार को खूबसूरती से निभाया है.


अपहरण 2 की कहानी में ट्विस्ट एंड टर्न हैं. हालांकि कहानी के बीच में जब थोड़ी देर के लिए ऐक्शन हीरो रुद्र पर्दे के पीछे चला जाता है, तो इसकी कसावट कम हो जाती है और रोमांच थोड़ा ढीला पड़ जाता लेकिन जल्दी ही फिर सब कुछ ट्रेक पर लौट आता है. करीब आधा दर्जन संवाद और पटकथा लेखकों ने अपहरण 2 को रचने में योगदान दिया है और उनकी मेहनत नजर आती है. पटकथा की शिथिलता को कहीं-कहीं छोड़ दें तो डायलॉग ठेठी भदेस हैं, जिन्हें सुन कर आप कह सकते हैं कि बोलने वाले के मुंह में लगाम नहीं है. इन संवादों पर सड़क की छाप भी दिखती है. लेकिन वे किरदारों और माहौल में फिट हैं.

इन बातों के बीच अपहरण की कहानी को अरुणोदय सिंह का शिद्दत से भरा परफॉरमेंस, सानंद वर्मा की कॉमेडी तथा निधि शर्मा और स्नेहिल दीक्षित मेहरा का अभिनय संभाले रहता है. गुजरे जमाने के एक्टर  जितेंद्र इस सीरीज में नजर आकर चौंकाते हैं. अर्से बाद वह अभिनय की दुनिया में लौटे हैं, लेकिन सिर्फ होना यह सीरीज देखने का कारण नहीं हो सकता. पहले सीजन की सफलता ने अपहरण 2 के दरवाजे खोले थे और इस बार कहानी जहां खत्म हुई है, वहां से तीसरे की राह बनती है. यानी इसका अगला सीजन भी आएगा. अब अगर आप किसी पल्प फिक्शन के सिनेमाई संस्करण को देखना चाहें, तो अपहरण विकल्प के रूप में मौजूद है.