Aarya 2 Review: आपके व्हाट्सएप पर कभी यह मैसेज जरूर आया है कि ईश्वर हर जगह नहीं पहुंच सकता, इसलिए उसने मां बना दी. मां हर मुश्किल हाल में कवच की तरह अपने बच्चे को सुरक्षा प्रदान करती है. डिज्नी हॉटस्टार की चर्चित वेब सीरीज आर्या के दूसरे सीजन में सुष्मिता सेन की कहानी देखते हुए आपको शिद्दत से इस बात का मतलब समझ आएगा. पहले सीजन के अंत में अपने पति तेज (चंद्रचूड़ सिंह) की हत्या के बाद आर्या सरीन (सुष्मिता सेन) देश छोड़ कर न्यूजीलैंड भागी थी ताकि अपने बच्चों को सुरक्षित जीवन दे सके.


उसके पिता शेखावत (जयंत कृपलानी) ने उसके पति की हत्या का षड्यंत्र रचा था और अवैध ड्रग्स के धंधे में पूरा परिवार उलझा था. नए सीजन की शुरुआत आर्या की वतन वापसी से होती है और उसे अपनों के खिलाफ गवाही देनी है.


आठ एपिसोड के इस सीजन की शुरुआत में कहानी हिचकोले खाती हुई, धीमी रफ्तार से, पूर्वानुमानों के अनुसार बढ़ती है. लेकिन फिर आखिरी के दो सीजन में संभल जाती है. विदेश से वापसी पर आर्या पर हमले, उसकी बढ़ती चिंताएं, हमेशा असुरक्षा में जीते तीनों बच्चों का व्यवहार और पारिवारिक खींचतान कहानी को आगे बढ़ाते हैं. आर्या का अतीत उसे थोड़ी राहत देने के लिए लौटता है मगर तभी अप्रत्याशित घटनाएं उसके जीवन में नई मुश्किलें खड़ी कर देती हैं. रूसी माफिया का 300 करोड़ का ड्रग कंसाइनमेंट उसकी जिंदगी को फिर घेर लेता है और उथल-पुथल मच जाती है. संघर्ष में सरीन परिवार एकजुट होने की कोशिश करता है लेकिन इससे आर्या का समस्याएं कम नहीं होतीं. रूसी माफिया और शेखावत आर्या को ऐसा रूप धरने पर मजबूर कर देते है, जिसके बारे में खुद आर्या ने कभी कल्पना नहीं की थी.




दूसरा सीजन हालांकि बहुत कोशिश करता है लेकिन कुछ नया पैदा हो, लेकिन वह नयापन देखने नहीं मिलता. अपराध की दुनिया में वंशवाद, पारिवारिक षड्यंत्र, विदेशी माफिया, अदालती केस और तमाम बदलों की कहानियां यहां हैं. आर्या डच क्राइम सीरीज पेनोजा का भारतीय रूपांतरण है, जिसमें अगर कुछ सबसे खूबसूरती से उभरता है तो वह सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) का परफॉरमेंस है. फिल्मों में इस पूर्व विश्व सुंदरी को ऐसा कुछ कर दिखाने का मौका नहीं मिला और यहां मिले मौके का उन्होंने भरपूर फायदा उठाया है. पहले सीजन में उनका सफर जहां खत्म हुआ था, वह उसे दूसरे में आगे बढ़ाती हैं. उनके किरदार का ग्राफ बढ़ता है. मां के रूप में वह शक्ति के अवतार में नजर आती है, जो अपने बच्चे की बेहतरी के लिए कुछ भी कर सकती है.




स्वदेश वापसी पर अपनों के साथ संघर्ष हो या फिर बेटे वीर (वीरेन वजीरानी) और बेटी अरु (वीर्ती वघानी) के साथ संबंधों की गरमाहट, सुष्मिता ने खूबसूरती से अपने किरदार को निभाया है. वह यहां किसी बॉलीवुड अभिनेत्री की तरह नहीं बल्कि एक कलाकार की तरह उभरती हैं. ऐसा नहीं कि आर्या की यात्रा यहां समाप्त हुई है. दूसरे सीजन का अंत बताता है कि यह कहानी तो अभी शुरू हुई है. अतः सुष्मिता के फैन्स उन्हें आगे देखने के लिए तैयार रहें.




जहां तक इस सीजन और निर्देशन टीम की बात है तो तय है कि आर्या 2 कमोबेश पिछले सीजन की तरह है.  आम तौर पर नए सीजन में आप बेहतरी की उम्मीद करते हैं. इसके बावजूद जिन्होंने आर्या देखा है, उन्हें नया सीजन निराश नहीं करेगा. यहां लेखकों-निर्देशकों टीम ने ऐक्शन से ज्यादा इमोशन को तवज्जो दी है. राम माधवानी और उनकी टीम ने किरदारों की भावनाओं के उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण बनाए रखा है. कहानी में लगातार नए मोड़ आते हैं. मुश्किल तब होती है जब दृश्यों को टीवी सीरियलों की तरह अनावश्यक रूप से खींचा गया है.




ऑफिसर खान के रूप में विकास कुमार को इस बार ज्यादा जगह मिली है. उनका परफॉरमेंस बढ़िया है. केस को सुलझाने का तनाव और अपने समलैंगिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश इस किरदार को नए रंग देती है. दौलत के रूप में सिकंदर खेर और जोरावर के रूप में जयंत कृपलानी अपनी भूमिकाओं में जमे हैं. अंकुर भाटिया और विश्वजीत प्रधान समय-समय पर अपनी मौजूदगी सीजन में दर्ज कराते हैं. जबकि गीतांजलि कुलकर्णी को देख कर महसूस होता है कि लेखकों-निर्देशकों ने उनकी प्रतिभा के साथ यहां न्याय नहीं किया. संभव है कि आने वाले सीजन में उनकी कहानी को विस्तार मिले. अपनी कुछ कमजोरियों और कमियों के बावजूद आर्या 2 देखने योग्य सीरीज है. कम से कम उनके लिए जरूर, जो इसके पहले सीजन से वाकिफ हैं.