(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ae Watan Mere Watan Review: उषा मेहता की ये कहानी देखना जरूरी है, कमियों के बावजूद देख सकते हैं सारा अली खान की ये फिल्म
Ae Watan Mere Watan Review: सारा अली खान की फिल्म ए वतन मेरे वतन आज ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो गई है. अगर आप फिल्म को देखने का प्लान कर रहे हैं तो पहले पढ़ लें इसका रिव्यू.
कन्नन अय्यर
सारा अली खान
अमेजॉन प्राइम
Ae Watan Mere Watan Review: हमारे इतिहास में ऐसे बहुत से हीरो हैं जिनके बारे में हम बहुत कम जानते हैं और सिनेमा के जरिए ऐसे बहुत से लोगों के बारे में हम जान पाते हैं, ऐसी ही है एक हस्ती हैं उषा मेहता जिनकी कहानी शायद बहुत कम लोगों को पता होगी और आज की जनरेशन को तो शायद नहीं पता होगी. अब आज की पीढ़ी की हीरोइन सारा अली खान ने प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई फिल्म में उनका किरदार निभाया है लेकिन क्या वो इस किरदार के साथ इंसाफ कर पाई हैं, पूरा रिव्यू पढ़िए.
कहानी
उषा का बचपन से ये सपना होता कि भारत आजाद हो जाए लेकिन 9 साल की उषा क्या ही करती, पर जब वो बड़ी होती है तो क्रांति लाने की कोशिश करती है. उसकी मुलाकात महात्मा गांधी से होती, वो ब्रह्माचार्य अपनाती है लेकिन जब कांग्रेस के लीडर्स अरेस्ट हो जाते तो उषा के दोस्त भी उसका साथ छोड़ देते हैं, फिर वो अपने दोस्त फहाद यानि स्पर्श श्रीवास्तव के साथ मिलकर कांग्रेस रेडियो शुरू करती है. इसके बाद क्रांति की आग भड़क जाती है और अंग्रेज उषा को ढूंढने लग जाते हैं. इसके बाद उषा की कहानी में क्या होता है, इसके लिए आप ये फिल्म देख सकते हैं.
कैसी है फिल्म
इस फिल्म की कहानी ऐसी है जो लोगों तक पहुंचनी चाहिए. फिल्म शुरूआत में स्लो है. मुद्दे पर आने में वक्त लेती है और ये हिस्सा आपको झेल लगता है. फिल्म में दिलचस्पी तब आती है जब रेडियो शुरू होता है. वहां से आप इस कहानी को जानना चाहते हैं. कहानी को तो जानने में मजा आता है लेकिन फिल्म से आप उस तरह से कनेक्ट नहीं करते जैसे करना चाहिए. फिल्म के किरदार आपके दिल को उस तरह से नहीं छू पाते जिस तरह की ये कहानी है. कुल मिलाकर इस फिल्म को उषा मेहता की कहानी जानने के लिए ही देखा जा सकता है.
डायरेक्शन
फिल्म को कन्नन अय्यर ने डायरेक्ट किया है जिन्होंने 2013 में एक थी डायन डायरेक्ट की थी, अच्छी कहनी को कन्नन उस तरह से पेश नहीं कर पाए जैसी उम्मीद थी. और यहां कहीं ना कहीं वो कलाकारों की वजह से भी फेल हुए.
एक्टिंग
सारा अली खान ने कई फिल्मों में दिखाया है कि उनकी एक्टिंग रेज अच्छी है, ये किरदार मुश्किल था. वो ऐसी क्रांतिकारी का किरदार निभा रही थी जिसके ज्यादा रेफरेंस भी नहीं हैं लेकिन यहां सारा बस कोशिश करती रह जाती हैं. उनकी कोशिश उतनी कामयाब होती नहीं दिखती, कहीं ना कहीं लगता है वो किरदार पर सूट नहीं करती. वो नए जेनरेशन की एक्ट्रेंस हैं और कहीं ना कहीं उन्हें इस किरदार में पचा पाना मुश्किल हो जाता है. लापता लेडीज के बाद स्पर्श श्रीवास्तव ने अच्छा काम किया है. इमरान हाशमी का कैमियो भी कोई खास इम्प्रेस नहीं करता.
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