Drishyam 2 Review In Hindi: 2 अक्टूबर को ड्राई डे होता है ये भले कोई भूल जाए लेकिन 2 और 3 अक्टूबर को विजय सलगांवकर की फैमिली पणजी में सत्संग सुनने गई थी. 2 अक्टूबर को विजय की फैमिली ने पाव भाजी खाई थी, 2 अक्टूबर को विजय की फैमिली ने फिल्म देखी थी. ये कोई नहीं भूलता. यही असर है 2015 में आई फिल्म दृश्यम का. ये फिल्म भले 2013 में आई दृश्यम नाम ही मलयालम फिल्म का रीमेक थी लेकिन जबरदस्त कामयाब रही थी और लोगों के दिलों में अब भी ताजा है. अब जब इसका पार्ट 2 आया है तो उससे भी उम्मीदें काफी ज्यादा है. दृश्यम 2 भी मल्यालम फिल्म दृश्मय 2 का रीमेक है जो 2021 में आई थी और ये ओटीटी पर भी मौजूद है लेकिन इसके बावजूद आप अजय देवगन की फिल्म दृश्यम 2 देख सकते हैं क्योंकि ये शानदार है.


कहानी
दृश्यम 2 की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पहला पार्ट खत्म हुआ था. सेम की बॉडी की तलाश जारी है. तबू पुलिस से रिटायर हो चुकी हैं लेकिन फिर गोवा आ जाती हैं और गोवा के मौजूदा आईजी और अपने दोस्त अक्षय़ खन्ना की मदद से इस केस को फिर से खुलवा देती हैं लेकिन क्या इस बार विजय पकड़ा जाता है. इसके लिए आपको थिएटर जाना होगा.



कैसी है फिल्म
शुरुआत में फिल्म काफी स्लो है. मुद्दे पर आने में वक्त लेती है. आपको लगता है इतना टाइम क्यों बर्बाद किया जा रहा है लेकिन करीब आधे घंटे के बाद फिल्म में जब पहला ट्विटस्ट आता है तो आप हैरान रह जाते हैं और उसके बाद तो ये फिल्म आपको सीट से उठने का मौका नहीं देती है. एक के बाद एक चौंकाने वाली चीजें होती हैं और क्लाइमैक्स इतना जबरदस्त है कि आपके रौंगटे खड़े हो जाते हैं.


एक्टिंग 
अजय देवगन फिल्म की जान हैं. अजय की एक्टिंग ने फिल्म को अलग ही लेवल पर पहुंचा दिया है. विजय के किरदार में इस बार फिर वो जबरदस्त लगे हैं. लगा ही नहीं कि सालों बाद वो इस किरदार को निभा रहे हैं. ऐसा लगा कि बस पहले पार्ट के फौरन बाद इसकी शूटिंग कर ली. अक्षय खन्ना फिल्म में नई एंट्री हैं और वो जबरदस्त लगे हैं. वही फिल्म में नया ट्विस्ट लेकर आते हैं. तबू और रजत कपूर का काम अच्छा है. अजय की पत्नी के किरदार में श्रिया सरन भी पिछले पार्ट की तरह जमी हैं. अजय के बच्चों के किरदार में इशिता दत्ता और मृणाल जाधव का काम भी अच्छा है.


डायरेक्शन
पहले पार्ट को निशिकांत कामत ने डायरेक्ट किया था लेकिन वो अब इस दुनिया में नहीं हैं. इस बार डायरेक्शन की कमान अभिषेक पाठक के हाथ में थी और उन्हें इसके लिए फुल मार्क्स दिए जाने चाहिए. उन्होंने निशिकांत कामत को शानदार ट्रिब्यूट दिया है. पेस पकड़ने के बाद फिल्म पर कहीं भी उनकी पकड़ ढीली नहीं छूटी.



कुल मिलाकर ये फिल्म थिएटर में देखने का मजा आएगा. आपको विजय सलगांवकर फिर से चौंकाने के लिए बिल्कुल तैयार है.


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