Binny and family Review: साल की सबसे प्यारी फिल्मों में से एक, अंजिनी धवन ने किया साल का सबसे शानदार डेब्यू
Binny and family Review: अंजिनी धवन की डेब्यू फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ लें इसका रिव्यू.
संजय त्रिपाठी
अंजिनी धवन, पंकज कपूर, राजेश कुमार, हिमानी शिवपुरी, चारू शंकर
सिनेमाघर
Binny and family Review: फिल्मों में हम जो देखते हैं अक्सर उसे जिंदगी में उतारने की कोशिश करते हैं इसलिए तो कहते भी हैं कि फिल्में समाज का आइना होती हैं. हम अक्सर हीरो की तरह दिखना चाहते हैं. हीरोइन की तरह जीरो फिगर की चाहत रखते हैं. ऐसे में कुछ फिल्मों ऐसी भी होनी चाहिए जो हमें कुछ ऐसा सिखा जाएं जिसकी जिंदगी में बहुत जरूरत होती है. ये ऐसी है एक फिल्म है.
कहानी
ये कहानी है कि बिन्नी नाम की लड़की की जो अपने मम्मी पापा के साथ लंदन में रहती है. घर छोटा है, ऐसे में जब इंडिया से दादा दादी आते हैं तो उसे अखरते हैं, वो रोक टोक करते हैं. पापा मम्मी न बिन्नी को कुछ कह पाते हैं और ना दादा दादी को. ये जेनरेशन गैप क्य कुछ करना है और कैसे इस गैप को भरा जा सकता है. ये फिल्म यही कहानी खूबसूरत तरीके से दिखाती है.
कैसी है फिल्म
ये इस साल की सबसे प्यारी फिल्मों में से एक है. ये फिल्म फैमिली वैल्यूज सिखाती है. ये फिल्म सिखाती है कि हमारे घर के बड़े अगर बूढ़े हो गए हैं तो ऐसा नहीं है कि वो बेकार हो गए हैं. हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं और छोटे अगर छोटे हैं तो ऐसा नहीं है कि वो नासमझ ही हैं वो भी आपको काफी कुछ सिखा जाते हैं. ये फिल्म आपकी आंखें नम करती है, हो सकता है इसे देखने के बाद आपके अपने परिवार से रिश्ते बेहतर हो जाएं. हो सकता है आप एक बेहतर इंसान बन जाएं या किसी और को बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित कर दें. ये फिल्म काफी इमोशनल करती है, आप इस फिल्म से कनेक्ट करते हैं, आपको लगता है कि ये कहानी कहीं फिल्म बागबान में देखी तो नहीं लेकिन ऐसा नहीं होता. इस फिल्म में एक ही कमी है और वो ये कि ये थोड़ी सी लंबी है, इसे आराम से थोड़ा छोटा किया जा सकता था.
एक्टिंग
बिन्नी के किरदार में अंजिनी धवन ने शानदार डेब्यू किया है. वो वरुण धवन के चाचा अनिल धवन के बेटे सिद्धार्थ की बेटी हैं यानि वरुण की भतीजी हैं. स्टार किड हैं लेकिन ऐसा लगा नहीं कि उनका ये डेब्यू जबरदस्ती बस करा दिया गया है. उनकी एक्टिंग में धार दिखती है, वो इस किरदार के साथ इंसाफ करती हैं. पंकज कपूर और राजेश कुमार जैसे एक्टर्स के सामने टिकना वैसे भी आसान नहीं है. पंकज कपूर तो लीजेंड हैं और यहां भी वो बस कमाल कर गए हैं. उन्हें देखकर एक अलग ही सुकून मिलता है, वो आपको अपने दादाजी लगने लगते हैं. राजेश कुमार एक सीन में अपने पिता से झूठ बोल रहे होते हैं कि उन्हें अपनी पत्नी यानि राजेश की मां के इलाज के लिए लंदन आने की जरूरत नहीं है. ऐसा वो इसलिए करते हैं क्योंकि उनकी बेटी नाराज हो रही है. इस एक सीन में राजेश कुमार बता गए कि वो किस कद के एक्टर हैं. अपने बाप से झूठ बोलने की वो लाचारगी जो उनके चेहरे पर दिखती है वो बताती है कि वो कमाल के अदाकार हैं और यहां भी उनका काम कमाल का है. एक मॉर्डन पिता लेकिन एक पिता का लिहाज करने वाला एक संस्कारी बेटा भी, दोनों किरदारों में वो गजब हैं. हिमानी शिवपुरी ने दादी के रोल में काफी अच्छा काम किया है. चारू शंकर का काम भी काफी अच्छा है, एक मॉर्डन बेटी की मां लेकिन एक बहू औऱ एक बीवी भी, तीनों किरदारों का बैलेंस चारू ने अच्छे से बिठाया है.
डायरेक्शन
संजय त्रिपाठी ने नमन त्रिपाठी के साथ मिलकर फिल्म को लिखा है और संजय ने ही फिल्म को डायरेक्ट किया है. दोनों डिपार्टमेंट में उनका काम शानदार है, हां लेकिन फिल्म को आधा घंटा छोटा रखते तो फिल्म और ज्यादा असर छोड़ पाती.
कुल मिलाकर ये फिल्म पूरे परिवार के साथ देखिए.
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