Crew Review: जब सामने तीन बड़ी हीरोइनें हों जो काफी खूबसूरत लग रही हों, हर थोड़ी देर में वो अपना ग्लैमरस अंदाज दिखा रही हों, शानदार ड्रेसेज बदल रही हों, ऊपर से अच्छे वन लाइनर मार रही हों और साथ ही कहानी भी ठीक ठाक हो तो फिल्म देखने का मजा तो आता है, क्रू में भी ऐसा ही मजा आता है.
कहानी
तब्बू, करीना और कृति कोहिनूर एयरलाइन्स नाम की एयरलाइन्स में एयर होस्टेस हैं, तीनों को पैसों की जरूरत है लेकिन एयरलाइन्स कंगाल हो जाती है, ऐसे में वो एक कांड करती हैं लेकिन फिर फंस जाती हैं, अब बचना भी है और सपने भी पूरे करने हैं तो वो एक और कांड करती हैं, ये क्या है, वो कैसे बचती हैं. ये देखने के लिए थिएटर चले जाइए.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म मजेदार है,फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है कि फिल्म में तीन बड़ी हीरोइनें साथ दिखती हैं जो कम होता है और एक नए अंदाज में दिखती हैं, फिल्म में अच्छे वन लाइनर हैं और जब हीरोइनों के मुंह से आप ये डायलॉग सुनते हैं तो हंसी भी आती है और मजा भी आता है, फर्स्ट हाफ तेजी से आगे बढ़ता है, फिल्म बिना वक्त गंवाए मुद्दे पर आ जाती है, हां सेकेंड हाफ में कुछ जगह आप बोर होते हैं लेकिन इन तीनों की एक्टिंग वहां मामला संभाल लेती है, हालांकि सेकेंड हाफ थोड़ा सा छोटा हो जाता तो और बेहतर रहता, फिल्म भले महिलाओं की कहानी है लेकिन कोई ज्ञान नहीं देती, एंटरटेन करती है और अच्छे से करती है.
एक्टिंग
तब्बू कमाल की एक्ट्रेस हैं लेकिन पिछले कुछ टाइम से पुलिसवाली ही बनती दिख रही हैं, यहां उन्हें एयर होस्टेस बने देखकर अच्छा लगता है, मजा आता है, वो अपने अंदाज में ये किरदार निभाती हैं और छा जाती हैं. करीना कपूर को देखकर लगा जैसे वो 10 साल पीछे चली गई हों, वो बहुत खूबसूरत लगी हैं और उनकी एक्टिंग भी कमाल की है. करीना के फैंस तो बस उन्हें देखने के लिए ही ये फिल्म देख सकते हैं. कृति सेनन का काम भी अच्छा है, दिलजीत दोसांझ जब जब स्क्रीन पर आते हैं, मजा आता है, उनका रोल छोटा है लेकिन वो असर छोड़ते हैं. कपिल शर्मा का रोल काफी छोटा है, उनके जैसे बड़े कलाकार का रोल और बड़ा होना चाहिए था लेकिन कपिल का होना कहीं ना कहीं फिल्म के स्केल को बड़ा करता है.
डायरेक्शन
राजेश ए कृष्णन का डायरेक्शन अच्छा है, उन्हें पता था कि उनकी यूएसपी तीन हीरोइनें हैं और उन्होंने इनके ग्लैमर को बखूबी इस्तेमाल किया है, हालांकि स्क्रीनप्ले थोड़ा और बेहतर होता, कहानी को थोड़ा और कायदे से लिखा जाता तो ये और अच्छी फिल्म बनती. सेकेंड हाफ में थोड़ा फन और डाला जाना चाहिए था लेकिन तब भी डायरेक्टर अपने काम में कामयाब रहे हैं.
म्यूजिक
दिलजीत दोसांझ, बादशाह और आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने फिल्म का म्यूजिक दिया है लेकिन इसमें कुछ नया नहीं है, वही चोली के पीछे और सोना कितना सोना है का रीमिक्स, कुछ नया होता तो और मजा आता.
कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जा सकती है, मजा आएगा.