CTRL Review: Ananya Pandey की ये फिल्म उतना ही एंटरटेनमेंट देती है जितना एक रील या वॉट्सएप फॉरवर्ड में होता है, विक्रमादित्य से ऐसी उम्मीद नहीं थी
CTRL Review: अनन्या पांडे की साइबर थ्रिलर फिल्म सीटीआरएल फाइनली आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है. देखने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले रिव्यू पढ़ लें.
विक्रमादित्य मोटवानी
अनन्या पांडे, विहान समत
नेटफ्लिक्स
CTRL Review: विक्रमादित्य मोटवानी जब अनन्या पांडे के साथ फिल्म बना रहे थे तो ऐसा लगा की अब आखिरकार अनन्या का वो छिपा हुआ talent बाहर आ जायेगा जो अब तक नहीं आ पाया और Netflix के सर्वर क्रैश हो जाएंगे, कुछ दिन पहले ही प्राइम वीडियो के सर्वर क्रैश होने से बाल बाल बचे थे जब अनन्या की call me bae आई थी लेकिन विक्रमादित्य वैसा नहीं कर पाए. AI यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बनी इस फिल्म में अगर AI की मदद से कुछ और एंटरटेनमेंट डाला जाता तो ये शायद झेलने लायक फिल्म बन पाती लेकिन अफसोस अनन्या के करोड़ों फैंस को इस बार भी निराशा ही हाथ लगी.
कहानी
एक influencer couple है, अनन्या यानि nella awasthi और vihaan samat यानि joe, दोनों सोशल मीडिया से खूब पैसा कमा रहे होते हैं कि nella joe को किसी लड़की के साथ रंगे हाथ पकड़ लेती है,इसके बाद दोनों अलग हो जाते हैं और फिर अनन्या की जिंदगी में AI आता है और बस फिर फिल्म में 1 twist और आता है जिसे अगर 1 वर्ड में बता दिया जाए तो पूरा सस्पेंस खत्म हो जाएगा जो वैसे भी कुछ खास नहीं है.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म ऐसा कुछ नहीं दिखाती जो शॉकिंग हो, इस फिल्म में जो दिखता है वो सब आप जानते हैं, फिल्म देखने के लिए लगातार स्क्रीन पर नजर रखनी पड़ती है क्योंकि काफी कुछ लिखा हुआ आता है और ये और गुस्सा दिलाता है कि एक खराब फिल्म को देखने के लिए स्क्रीन पर नजरें बनाए रखनी पड़ रही हैं, जो कुछ हम इंस्टाग्राम reels और वॉट्सएप के फॉरवर्ड मैसेज में देखते सुनते हैं वही सब इस फिल्म में है. अब influencer अनन्या पांडे है तो वो जासूस भी बन सकती है और हम दर्शक हैं तो बेवकूफ भी बन सकते हैं, मैंने इस फिल्म पर अपने लगभग 2 घंटे खराब किए, मलतब खर्च किए अब ये सब सुनने के बाद भी आप खर्च करना चाहते हैं तो आपकी मर्जी.
एक्टिंग
ananya pandey यहां भी अनन्या पांडे ही लग रही हैं. क्या फिल्ममेकर उन्हें जानकर ऐसे रोल दे रहे हैं, जिसमे वो वैसी ही लग रही हैं जैसे वो रियल लाइफ में हैं, अनन्या किस दौर की हैं ये किरदार भी उसी दौर का है लेकिन अनन्या ये यकीन नहीं दिलवा पाती कि वो nella हैं, अनन्या को मौके बहुत मिल रहे हैं और उन्हें जरूरत है उनको ठीक से भुनाने की, झूठी तारीफ की बजाय अपने क्राफ्ट पर कायदे का काम करेंगी तो एक एक्ट्रेस के तौर पर याद रखी जाएंगी जैसे उनके पापा चंकी पांडे को याद किया जाता है वरना पूरी उम्र nepo kid का tag साथ रहेगा. क्रिटिसिज्म बुरा लग सकता है लेकिन ये कलाकार और सिनेमा की बेहतरी के लिए ही होता है. vihan samat अच्छे लगे हैं, उनका काम अनन्या पर भारी है. एक सीन में दोनों को हंसकर एक पोज देना होता है, वो एक सीन बता देता है कि बेहतर एक्टर कौन है, बाकी ऐसा कोई एक्टर नहीं जिनका जिक्र रिव्यू में किया जाए.
डायरेक्शन
विक्रमादित्य मोटवानी ने इस बार निराश किया है, फिल्म की कहानी इतनी असरदार है ही नहीं कि मजा आए.उनसे हमेशा बेहतर की उम्मीद होती है, वो हर एक्टर से उनका बेस्ट निकलवाते हैं लेकिन यहां वो बेस्ट छोड़िए ok भी नहीं निकलवा पाए.
कुल मिलाकर AI के बारे में बिल्कुल नहीं पता तो देख लीजिए बाकी आपका टाइम, आपकी मर्जी