Decoupled Review: अमेरिकी ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स भारत में दर्शक तो चाहता है लेकिन कंटेंट अंग्रेजीदां परोसता है. हिंदी और हिंदी वालों के सरोकारों से वह फिलहाल बहुत दूर है. बीते तीन साल की कड़ी कोशिशों के बावजूद नेटफ्लिक्स भाषाई दर्शकों के बीच पैठ नहीं बना पाया है. इंडियन ओरीजनल सीरीज के रूप में नेटफ्लिक्स के पास अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले कुछ खास नहीं है. इसकी नई वेब सीरीज डीकपल्ड देख कर भी आप पाएंगे कि उसे सफलता के लिए और इंतजार करना होगा. हिंदी के मिजाज को भाने वाले कंटेंट का इस कहानी में भी अभाव हैं. डीकपल्ड पूरी तरह के मेट्रो और इंग्लिश नेचर की वेब सीरीज है. इसे बनाया भी अंग्रेजी में गया है. हालांकि इसकी डबिंग हिंदी में उपलब्ध है लेकिन इसमें निर्माताओं और नेटफ्लिक्स के कंटेंट क्रिएटर्स की लापरवाही की पोल यहां खुल जाती है.
सीरीज के लीड एक्टर माधवन को आप हिंदी में सुनेंगे तो लगेगा जैसे वॉइस आर्टिस्ट ने डॉक्युमेंट्री की डबिंग की है. वह किसी किरदार के लिए संवाद नहीं कह रहा. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि यह स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म हिंदी के दर्शकों को लेकर कितना गंभीर है. हिंदी में देखते हुए आप डीकपल्ड का मजा गंवा बैठते हैं. यह ऐसे पति-पत्नी की कहानी है, जो दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं और तलाक लेने का मन बना चुके हैं. आर्या अय्यर (माधवन) चेतन भगत के बाद भारत में नंबर 2 बेस्ट सेलर राइटर है. जबकि उसकी पत्नी श्रुति (सुरवीन चावला) वेंचर कैपिटलिस्ट है.
दोनों करिअर में कामयाब हैं लेकिन निजी जिंदगी में नाकाम. वजह है, अधेड़ हो चुके आर्या की आदतें. वह हर बात में कमियां निकालता है. हर चीज को आलोचनात्मक नजरिए से देखता है. हर मामले पर बिना किसी की परवाह किए अपनी राय रखता है. नतीजा यह कि ज्यादातर लोग उसे नापसंद करते हैं. श्रुति को भी लगता है कि आगे उसके साथ जीवन नहीं बिताया जा सकता. अब समस्या सिर्फ इतनी है कि दोनों की एक बच्ची है, रोहिणी.आर्या और श्रुति नहीं चाहते कि उनके तलाक का रोहिणी पर बुरा असर हो. अतः वे तय करते हैं कि तलाक के बाद भी एक-दूसरे का ख्याल रखेंगे, एक छत के नीचे रहेंगे और मिल-जुल कर बेटी की परवरिश करेंगे. अगर वे ऐसा करते हैं तो फिर शादी में और क्या होता है? एक-दूसरे का ख्याल रखना, एक छत के नीचे रहना और मिल-जुल कर बच्चों की परवरिश करना.
पूरी कहानी कॉमिक और रोमांटिक टोन में कही गई है.लेकिन सतह के नीचे बीच-बीच में कामुक संदर्भ आते हुए कहानी पर एडल्ट मार्क लगाते हैं. लगभग आधे-आधे घंटे के आठ एपिसोड का फॉर्मेट थोड़ा टीवी सीरियल और थोड़ा सिटकॉम जैसा है. हर एपिसोड इस जोड़े के बीच कोई नई समस्या, किसी नए ड्रामे से रू-ब-रू कराता है. दोनों का विवाहेतर संबंधों की तलाश करना भी समानांतर चलता है. धीरे-धीरे बात बढ़ती है और आखिर में आर्या और श्रुति तय करते हैं कि वे गोवा में दोस्तों और परिवार के साथ जश्न मनाते हुए अपने अलगाव को अंजाम देंगे.
डीकपल्ड का यह पहला सीजन है. यहां कहानी जिस मोड़ पर खत्म हुई है, वहां नए सीजन के दरवाजे खुले हैं. भारतीय समाज में तलाक की अवधारणा बहुत पुरानी और बहुत मान्य नहीं है. नए जमाने में भी तलाक को बहुत अच्छी निगाहों से नहीं देखा जाता. ऐसे में डीकपल्ड में यह स्थापित करना कि पति-पत्नी का अलगाव भी जश्न के साथ हो, दर्शकों के लिए बहुत मनोरंजक साबित होगा, इसमें संदेह है. सीरीज में रोमांस और कॉमेडी की टोन महानगरीय है. आम शहरी और अन्य दर्शकों के लिए इसमें कुछ खास नहीं है. माधवन हिंदी के दर्शकों के लिए जाने-पहचाने हैं और उनके अभिनय के मुरीद भी बहुत हैं. लेकिन सुरवीन चावला की छवि हेट स्टोरी 2 जैसी फिल्म के कारण सेक्स सिंबल जैसी है. उनके खाते में तारीफ के काबिल एक ही फिल्म है, पार्च्ड.
दोनों ऐक्टरों ने यहां अपनी भूमिकाएं बढ़िया ढंग से निभाई हैं लेकिन सीरियल-सिटकॉम जैसे फॉर्मेट के कारण उनके किरदारों के अधिक आयाम नहीं खुलते. सुरवीन जहां ज्यादातर तनावग्रस्त और तलाक के लिए आतुर पत्नी के रूप में हैं, वहीं माधवन हर समय बिंदास और किसी की परवाह न करने वाले शख्स के रूप में दिखते हैं. इस सीरीज में नेटफ्लिक्स भी एक किरदार की तरह है. सीरीज में आप पाते हैं कि कैसे नेटफ्लिक्स में कहानी के चयन का काम किया जाता है. आमतौर पर जिसका कोई नतीजा नहीं आता. चर्चित लेखक चेतन भगत के साथ माधवन के कुछ दृश्य हैं, जो रोमांचक हैं. वैसा ह्यूमर बाकी जगहों पर नहीं उभरा. कुल मिला कर डीकपल्ड ऐसी सीरीज है, जो चुनिंदा अंग्रेजीदां दर्शकों को पसंद आएगी. आम दर्शक के लिए इसमें कुछ खास नहीं है.