Farrey Review:फिल्म इंडस्ट्री की एक बड़ी दिक्कत ये है कि यहां स्टार ज्यादा हैं एक्टर कम और स्टार किड्स तो बचपन से ही स्टार होते हैं. तैमूर और जेह के पीछे पैदा होने के साथ ही पैपराजी लग जाते हैं.ऐसे में कोई स्टार किड जब अच्छा एक्टर भी निकल जाता है तो बात चौंकाने वाली हो जाती है और वो एक्टर जब सलमान खान के परिवार से हो तो फिर झटका और बड़ा लगता है और इस बार ये झटका बड़ा मजेदार है. फर्रे अच्छी फिल्म है सलमान की भांजी अलीजेह इसकी जान हैं.जब ट्रेलर देखा था और सुना था कि सलमान की भांजी लॉन्च हो रही हैं तो उम्मीदें बिल्कुल नहीं थी कि ये कोई अच्छी फिल्म होगी लेकिन यहां तो मामला उल्टा पड़ गया.
कहानी
ये फिल्म थाईलैंड की फिल्म बैड जीनियस का रीमेक है.कहानी है नियति नाम की एक लड़की की जिसका किरदार अलीजेह से निभाया हैवो अनाथालय में रहती है और 18 साल की होने वाली है जिसके बाद दूसरे अनाथालय जाना होगा. पढ़ाई में काफी होशियार है. स्कॉलरशिप मिलती है और पहुंच जाती है एक बड़े स्कूल में जहां अरबपतियों के बच्चे पढ़ते हैं. वहां एक बार एक लड़की को पेपर में चीटिंग करा देती है. लड़की खुश, उसके अमीर पापा खुश और वो लड़की गिफ्ट्स देकर नियति को भी खुश कर देती है. इसके बाद उसे लालच दिया जाता है कि पैसे के बदले चीटिंग करवाओ. वो ऐसा करती भी है.एक और गरीब होशिार बच्चा इसमें साथ आ जाता है फिर कहानी कहां कहां जाती है और कैसे खत्म होती है.इसके लिए थिएटर जरूर जाइए.
कैसी है फिल्म
फिल्म के नाम से लगा था कि फर्रे बनेंगे यानि पर्चियां बनेंगी लेकिन यहां स्कूल भी हाईटैक है एग्जाम भी हाईटैक है और चीटिंग भी हाईटैक तरीके से होती है.आप सोच में पड़ जाते हैं कि अरे भैया,ऐसा हमारे जमाने में तो सोचा भी नहीं जा सकता था. शुरू से फिल्म आपको बांध लेती है. स्कूल के बच्चों के किरदारों के साथ आप जुड़ जाते हैं. स्कूल में गरीब और अमीर बच्चों का फर्क आप साफ देख सकते हैं. फिल्म में एक के बाद एक ट्विस्ट आते हैं जिससे आप बिल्कुल बोर नहीं होते बल्कि इंतजार रहता है कि आगे क्या होगा. फिल्म करीब दो घंटे है और बिल्कुल खींची नहीं गई है और एंड में एक मैसेज भी देती है जो ऐसी फिल्म के जरिए देना जरूरी था वर्ना चीटिंग जैसी खराब चीज प्रमोट हो जाती है.
एक्टिंग
सलमान खान की भांजी अलीजेह मेन लीड में हैं और कहना होगा कि वो इस खानदान की बेस्ट एक्ट्रेस हैं.अलीजेह का डेब्यू किसी लव स्टोरी से भी हो सकता था लेकिन ऐसी फिल्म चुनी गई. ये भी कमाल की बात है और अलीजेह से कमाल का काम भी किया है. जहां वो कमाल के तरीके से चीटिंग करवाती हैं जहां वो बताती हैं कि गरीबी की वजह से उनकी मां उन्हें छौड़कर चली गई जहां वो अनाथालय के लिए कुछ भी करना चाहती हैं. हर जगह उनके एक्स्प्रेशन, उनकी डायलॉग डिलीवरी जबरदस्त है. वो आंखों से भी एक्टिंग करती है और उनकी चुप्पी भी डायलॉग बोल जाती है. उन्हें यकीनन इस साल बेस्ट डेब्यू का अवॉर्ड मिलना ही चाहिए. प्रसन्ना बिष्ट ने उस अमीर लड़की का किरदार निभाया है जो अलीजेह की मदद से नंबर लाती है और ये नंबर उसे इसलिए चाहिए कि पापा उसे उनके इंटेलिजेंट बेटे से कम ना समझें. उसे तो पढ़ाई समझ नहीं आती. इस किरदार में प्रसन्ना कमाल हैं. उनका किरदार ग्रे शेड भी लेता है और वो इसे बखूबी निभाती हैं. जैन शॉ का किरदार भी जबरदस्त है. साहिल मेहता ने भी कमाल का काम किया है. रोनित रॉय और जूही बब्बर अनाथालय चलाते हैं और दोनों का काम काबिले तारीफ है.
डायरेक्शन
सौमेंद्र पाढ़ी ने फिल्म को डायरेक्ट किया है वो बुधिया सिंह बॉर्न टू रन जैसी फिल्म बना चुके हैं. जामताड़ा जैसी वेब सीरीज बना चुके हैं. उनका डायरेक्शन अच्छा है वो कहानी को सही और सटीक तरीके से कह पाए हैं. किरदारों से कमाल का काम करवा पाए हैं.
कास्टिंग
फिल्म के ज्यादातर किरदार स्टार नहीं हैं लेकिन आप उनसे जुड़ते हैं औऱ इसका क्रेडिट जाता है कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा को जिन्होंने एक बार फिर दिखा दिया है कि कास्टिंग में उनके जैसा पारखी कोई नहीं है.किस किरदार को कहां फिट करना है ये कला उनमे जबरदस्त है और फर्रे में भी दिखती है.
कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जानी चाहिए..इसलिए भी कि ये एक अच्छी फिल्म और इसलिए भी कि स्टार किड्स भी अच्छी एक्टिंग कर सकते हैं तो जो अच्छा करना है उसे मौैका जरूर मिलना चाहिए.